‘मेरा न कभी अपना होना’ से कवियित्री का क्या अभिप्राय है?
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poet will say these words because he knows that the guy he like the most can't love him
यह पंक्तियां ‘महादेवी वर्मा’ द्वारा रचित कविता “मैं नीर भरी दुख की बदली” शीर्षक से ली गई हैं।
इन पंक्तियों का मूल अभिप्राय यह है कि कवियत्री यह कहना चाहती है कि इस विशाल जगत में कवियत्री के स्वयं के जीवन को कोई स्थायित्व प्राप्त नहीं है। जिस तरह विशाल आसमान में बादल घूमता रहता है, उसे कोई स्थायित्व प्राप्त नहीं होता। उसी तरह कवियत्री का जीवन भी इस विशाल जगत रूपी आकाश में बादल के समान इधर-उधर भटकता रहता है और उसे कोई स्थायित्व प्राप्त नहीं है।
इस कविता के केंद्रीय भाव में कवियत्री ने अपने जीवन की तुलना बादल से करके अपने जीवन के अस्थायित्वता को प्रकट किया है। कवियत्री ने दार्शनिक दार्शनिक रूप से जीवन की क्षणभंगुर को दर्शाया है और कवियत्री यह संदेश देना चाहती है कि मनुष्य का जीवन इस तरह निष्कलंक होना चाहिए कि लोग उसे खुश होकर याद करें।