मेरा नया बचपन
कविता
बार - बार आती है मुझको
सभर याद बचपनतेरी
गया, ले गया तु जीवन की
सबसे सस्त खुशी मेरी।।
चिंता रहित खेलना खाना
वह फिरना निर्भय स्वच्छंद।
कैसे भूला जा सकता है
बचपन का अतुलित आनंद?
ऊँच नीच का ज्ञान नहीं था
छुआछूत किसने जानी?
बनी हुई थी वहाँ झोपड़ी-
और चीथड़ों में रानी।।
किए दूध के कुल्ले मैंने
चूस अंगूठा सुधा पिया।
किलकारी कल्लोल मचाकर
सूना घर आबाद किया।।
रोना और मचल जाना भी
क्या आनंद दिखाते थे!
बड़े-बड़े मोती-से आँसू
जयमाला पहनाते थे।
मैं रोई, माँ काम छोड़कर
आई, मुझको उठा लिया।
झाड़-पोंछकर चूम-चूम
गीले गालों को सुखा दिया।
Answers
Answered by
2
Answer:
सही मै जो बचपन गया है उसे हम वापस तो नही ला सकते है
लैकीन हम उसके जैसा व्यवार तो कर सकते है ना
we are children of heart. be happy
Similar questions