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मेरी प्रिम वस्तु के खोजाने पर pratikriya
कya hogi? अनुच्छेद लिखिए।
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हर व्यक्ति की अपनी पसंद होती है । इसी तरह नापसंद भी । मेरी भी कुछ विशेष रुचियां हैं, प्रिय वस्तुएं हैं । और इसी तरह अप्रिय वस्तुएं भी । मेरी सबसे प्रिय वस्तु है प्रकृति का निरीक्षण । प्रकृति इतनी सुंदर, इतनी मनोरम और आश्चर्यजनक है ।
इसका निरीक्षण करने से ज्ञान भी बहुत मिलता है । जब भी मुझे अवसर मिलता है, मैं प्रकृति को बड़े ध्यान से देखता हूं । इस काम में मेरा मन बड़ा रमता है । पक्षियों को गाते, उड़ते, चुग्गा-चुगते और घोंसला बनाते देखना मुझे बड़ा अच्छा लगता है । रात को तारों को देखना, बरसात में नहाना, जंगली जानवरों को उनके प्राकृतिक स्थान पर देखना, नदी, पहाड़ या समुद्र की यात्रा करना मेरे प्रिय शौक है ।
पुस्तकें पढ़ना भी मुझे अच्छा लगता है । पाठ्य-पुस्तकों के अतिरिक्त सामान्य ज्ञान की पुस्तकें और प्रसिद्ध लोगों की जीवनियां पढ़ना मुझे प्रिय है । उनसे मुझे बड़ी प्रेरणा और साहस मिलता है । कहानियां भी मेरा प्रिय विषय है । मेरे पास इन विषयों पर कई अपनी पुस्तकें हैं ।
पुस्तकालय से लेकर भी मैं पढ़ता हूँ । पत्र-पत्रिकाएं भी मैं पढ़ता हूँ । उनमें छपे हल्के-फुल्के, लेख, कविताएं, कार्टून, चित्र, चुटकुले, कहानियां मुझे अच्छे लगते हैं । कभी-कभी सरल और छोटी-छोटी कविताएं भी मेरे पढ़ने का विषय होती हैं ।
संगीत भी मेरा प्रिय विषय है । यद्यपि मैं स्वयं गा नहीं सकता और न कोई वाद्ययंत्र बजा सकता, फिर भी संगीत से मेरा लगाव है । फिल्मी गीतों और संगीत के अलावा भजन सुनने और कभी-कभी शास्त्रीय संगीत को सुनने का भी मुझे चाव है । संगीत सुनकर बड़ी शांति मिलती है, मन की एकाग्रता बढ़ती है, और आनन्द आता है ।
यात्रा पर जाना भी मुझे अच्छा लगता है । पहाड़ी स्थानों पर जाना मेरे लिए विशेष आनन्द की बात है । मैं अपने माता-पिता के साथ कई पर्वतीय स्थलों पर जा चुका हूँ । इन में नैनीताल, शिमला और मनाली मुख्य हैं ।
वहां प्रकृति को बहुत समीप से देखने का सुअवसर मिलता है । भारत के कई बड़े-बड़े शहर भी मैंने देखे हुए हैं । बड़ा होकर मैं सारे भारत के दर्शन करना चाहता हूं । यात्रा और पर्यटन ज्ञान-प्राप्ति का भी बहुत सुंदर साधन है ।
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