Hindi, asked by kristen8162, 1 year ago

मेरे प्रेरणा स्रोत पर निबंध

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Answered by ips420
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दोस्तों ,जिंदगी है तो संघर्ष हैं,तनाव है,काम का pressure है, ख़ुशी है,डर है !लेकिन अच्छी बात यह है कि ये सभी स्थायी नहीं हैं!समय रूपी नदी के प्रवाह में से सब प्रवाहमान हैं!कोई भी परिस्थिति चाहे ख़ुशी की हो या ग़म की, कभी स्थाई नहीं होती ,समय के अविरल प्रवाह में विलीन हो जाती है!



ऐसा अधिकतर होता है की जीवन की यात्रा के दौरान हम अपने आप को कई बार दुःख ,तनाव,चिंता,डर,हताशा,निराशा,भय,रोग इत्यादि के मकडजाल में फंसा हुआ पाते हैं  हम तत्कालिक परिस्थितियों के इतने वशीभूत हो जाते हैं  कि दूर-दूर तक देखने पर भी हमें कोई प्रकाश की किरण मात्र भी दिखाई नहीं देती , दूर से चींटी की तरह महसूस होने वाली परेशानी हमारे नजदीक आते-आते हाथी के जैसा रूप धारण कर लेती है  और हम उसकी विशालता और भयावहता के आगे समर्पण कर परिस्थितियों को अपने ऊपर हावी हो जाने देते हैं,वो परिस्थिति हमारे पूरे वजूद को हिला डालती है ,हमें हताशा,निराशा के भंवर में उलझा जाती है…एक-एक क्षण पहाड़ सा प्रतीत होता है और हममे से ज्यादातर लोग आशा की कोई  किरण ना देख पाने के कारण  हताश होकर परिस्थिति के आगे हथियार डाल देते हैं!

अगर आप किसी अनजान,निर्जन रेगिस्तान मे फँस जाएँ तो उससे निकलने का एक ही उपाए है ,बस -चलते रहें!   अगर आप नदी के बीच जाकर हाथ पैर नहीं चलाएँगे तो निश्चित ही डूब जाएंगे !  जीवन मे कभी ऐसा क्षण भी आता है, जब लगता है की बस अब कुछ भी बाकी नहीं है ,ऐसी परिस्थिति मे अपने  आत्मविश्वास और साहस के साथ सिर्फ डटे रहें क्योंकि-

“हर चीज का हल होता है,आज नहीं तो कल होता है|”

एक बार एक राजा की सेवा से प्रसन्न होकर एक साधू नें उसे एक ताबीज दिया और कहा की राजन  इसे अपने गले मे डाल लो और जिंदगी में कभी ऐसी परिस्थिति आये की जब तुम्हे लगे की बस अब तो सब ख़तम होने वाला है ,परेशानी के भंवर मे अपने को फंसा पाओ ,कोई प्रकाश की किरण नजर ना आ रही हो ,हर तरफ निराशा और हताशा हो तब तुम इस ताबीज को खोल कर इसमें रखे कागज़ को पढ़ना ,उससे पहले नहीं!

राजा ने वह ताबीज अपने गले मे पहन लिया !एक बार राजा अपने सैनिकों के साथ शिकार करने घने जंगल मे गया!  एक शेर का पीछा करते करते राजा अपने सैनिकों से अलग हो गया और दुश्मन राजा की सीमा मे प्रवेश कर गया,घना जंगल और सांझ का समय ,  तभी कुछ दुश्मन सैनिकों के घोड़ों की टापों की आवाज राजा को आई और उसने भी अपने घोड़े को एड लगाई,  राजा आगे आगे दुश्मन सैनिक पीछे पीछे!   बहुत दूर तक भागने पर भी राजा उन सैनिकों से पीछा नहीं छुडा पाया !  भूख  प्यास से बेहाल राजा को तभी घने पेड़ों के बीच मे एक गुफा सी दिखी ,उसने तुरंत स्वयं और घोड़े को उस गुफा की आड़ मे छुपा लिया !  और सांस रोक कर बैठ गया , दुश्मन के घोड़ों के पैरों की आवाज धीरे धीरे पास आने लगी !  दुश्मनों से घिरे हुए अकेले राजा को अपना अंत नजर आने लगा ,उसे लगा की बस कुछ ही क्षणों में दुश्मन उसे पकड़ कर मौत के घाट उतार देंगे !  वो जिंदगी से निराश हो ही गया था , की उसका हाथ अपने ताबीज पर गया और उसे साधू की बात याद आ गई !उसने तुरंत ताबीज को खोल कर कागज को बाहर निकाला और पढ़ा !   उस पर्ची पर लिखा था —“यह भी कट जाएगा “

राजा को अचानक  ही जैसे घोर अन्धकार मे एक  ज्योति की किरण दिखी , डूबते को जैसे कोई सहारा मिला !  उसे अचानक अपनी आत्मा मे एक अकथनीय शान्ति का अनुभव हुआ !  उसे लगा की सचमुच यह भयावह समय भी कट ही जाएगा ,फिर मे क्यों चिंतित होऊं !  अपने प्रभु और अपने पर विश्वासरख उसने स्वयं से कहा की हाँ ,यह भी कट जाएगा !

और हुआ भी यही ,दुश्मन के घोड़ों के पैरों की आवाज पास आते आते दूर जाने लगी ,कुछ समय बाद वहां शांति छा गई !  राजा रात मे गुफा से निकला और किसी तरह अपने राज्य मे वापस आ गया !

दोस्तों,यह सिर्फ किसी राजा की कहानी नहीं है यह हम सब की कहानी है !हम सभी परिस्थिति,काम ,तनाव के दवाव में इतने जकड जाते हैं की हमे कुछ सूझता नहीं है ,हमारा डर हम पर हावी होने लगता है ,कोई रास्ता ,समाधान दूर दूर तक नजर नहीं आता ,लगने लगता है की बस, अब सब ख़तम ,है ना?

जब ऐसा हो तो २ मिनट शांति से बेठिये ,थोड़ी गहरी गहरी साँसे लीजिये !  अपने आराध्य को याद कीजिये और स्वयं से जोर से कहिये –यह भी कट जाएगा !   आप देखिएगा एकदम से जादू सा महसूस होगा , और आप उस परिस्थिति से उबरने की शक्ति अपने अन्दर महसूस करेंगे !  आजमाया हुआ है ! बहुत कारगर है !

आशा है जैसे यह सूत्र मेरे जीवन मे मुझे प्रेरणा देता है ,आपके जीवन मे भी प्रेरणादायक सिद्ध होगा !

धन्यवाद् ,


ips420: this is your answer
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Answered by jaatkingdom7
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