'मेरे प्रिय अध्यापक' विषय पर A-4 शीट पर 70 से 80 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।
Answers
Answer:
मेरे प्रिय अध्यापक'
प्रस्तावना
शिक्षक के मार्गदर्शन के बिना कोई भी इंसान अपने जीवन में सफलता हासिल नहीं कर सकता है, इसलिए हर किसी के जीवन में शिक्षक का बेहद महत्व होता है, वहीं कुछ शिक्षक ऐसे होते हैं जो छात्र की जीवन के लिए प्रेरणा बन जाते हैं और छात्र उनके आदर्शों पर चलकर अपना जीवन संवार लेते हैं।
शायद इसी वजह से शिक्षक को भगवान से भी बढ़कर दर्जा दिया गया है। वहीं मै भी अपने प्रिय अध्यापक के बारे में कुछ लिखने से पहले संस्कृत में लिखे गए इस श्लोक के माध्यम से उन्हें प्रणाम करता हूं/करती हूं –
[I hope help]
Explanation:
हमें संसार मे कुछ लोग औरों से बहुत अच्छे लगते है। मानव स्वभाव ही ऐसा होता है। जिससे वो अपने मन मे उनके रहते थोड़ी राहत अनुभव करता है उसके प्रति आकर्षित होता है। और उनकी आवश्यकता अनुभव करता है।
महत्व:- ओर हमारे विद्यार्थी जीवन को बनाने और सँवारने में उसके अध्यापक की भूमिका सबसे बड़ी होती है। कबीर दास जी ने कहा है।
गुरु कुम्हार शिष्य कुम्भ है, गढी-गढ़ी काढ़े खोट,
अंतर हाथ सहार दे, बाहर बाहे चोट।
इसका मतलब है। गुरु कुम्हार के समान होता है। जो कच्चे घड़े को आकार देने के लिए उसे अंदर से सहारा देता है। और बहार से हाथ से पिटता है। ठीक उसी प्रकार अधयापक बाहर से कठोर रहकर भी भीतर से अपने विद्यार्थी के भविष्य की अच्छी कामना करता है।
यही नही हमारे धर्मो , हमारी सभ्यता और संस्कृति में गुरु के महत्व को ईशवर से भी बढ़कर स्थान दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि गुरु के ही द्वारा ईशवर का ज्ञान और दर्शन होता है। इसलिए ईशवर से पहले गुरु पूजनीय होते है। इस प्रकार गुरु की महिमा ईशवर के समान है। इस के लिए कबीरदास द्वारा कहा गया दोहा अत्यधिक प्रचलित माना जाता है।