मेरा प्रिय मित्र......(150-200 words)
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अनुराग मेरा सबसे प्रिय मित्र है। उसका घर मेरे पास ही है। मैं प्रतिदिन उसके घर जाता हूं और उसके साथ खेलता और पढ़ता हूं। उसके पिताजी पेशे से इंजीनियर हैं। अंकल और मेरे परिवार के बीच बहुत घनिष्ठ संबंध हैं। मेरे और अनुराग के परिजन सभी एक-दूसरे को जानते हैं।
हमारी मित्रता लगभग 8 वर्ष पुरानी है। हमारे विचार लगभग समान हैं। हमारी मित्रता में स्वार्थ की भावना दूर-दूर तक नहीं है। हम दोनों एक ही कक्षा में पढ़ते हैं।
अनुराग बहुत नम्र लड़का है। उसका उत्साह और आत्मविश्वास गजब का है। उसकी वाणी से शालीनता और नम्रता साफ झलकती है। उसे मैंने किसी के साथ भी अभद्र स्वर में बातें करते नहीं देखा। खेल में हारकर भी वह उदास और दुखी नहीं होता है। दूसरी तरफ मैं थोड़ी सी हार भी बर्दाश्त नहीं कर सकता था। जरा-जरा सी बात में मुझे गुस्सा आ जाता था। उसे देखकर ही मेरी इस आदत में सुधार हुआ है।
वह समय का बहुत पाबंद है। उसी ने मुझे समय का महत्व समझाया है। सच्चे मित्र की परीक्षा विपत्ति में होती है। अनुराग हमेशा मेरे घर-परिवार में होने वाले किसी भी कार्यक्रम में मेरा हाथ बंटाने के लिए तैयार रहता है। कहते हैं सच्चा मित्र ईश्वर का अमूल्य उपहार है। मुझे अपने इस दोस्त और हमारी दोस्ती पर गर्व है।
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Answer:
मित्र शब्द कहना बहुत आसान है लेकिन एक सच्चा मित्र पाना बहुत ही कठिन है।एक सच्चा मित्र वही है जो आपकी आवश्यकता में सहायता देता है और उचित पथ का मार्गदर्शन करता है। कमजोरियों और अवगुणों को दिखाता है। मैं बहुत भाग्यशाली हूँ कि मैंने रमेश जैसा एक अच्छा मित्र पाया हूँ।
वह मुझे मेरे विद्यालय में मिला।हम दोनों एक ही कक्षा में पढ़ते हैं। वह मृदुभाषी है और दयालुतापूर्ण तथा
शिष्टाचारी व्यवहार करता है। वह कंप्यूटर का अत्यंत प्रेमी है। वह बहुत बुद्धिमान तथा हमेशा कक्षा में प्रथम आता है।वह क्रिकेट का अच्छा खिलाडी भी है। अपने विद्यालय की टीम का कप्तान भी है। उसके कप्तानी में हमारे विद्यालय ने कई प्रतियोगिताओ को जीता है। सभी शिक्षक उसको प्यार करते हैं। वह विद्यालय में हमेशा अनुशासन में रहता है। रमेश केवल खेलों में ही नहीं ,विद्यालयी पाठ्यक्रम में बहुत अच्छा प्रदर्शन करता है। गणित और कंप्यूटर उसका प्रिय विषय है।उसकी यूनिफार्म हमेशा साफ़ और स्वच्छ रहती है। वह सभी शिक्षकों का बहुत सम्मान करता है तथा अपने माता -पिता की आज्ञा मानता है।
वह एक व्यावसायिक परिवार से जुड़ा हुआ है। लेकिन फिर भी वह अपने धन पर कभी गर्व नहीं करता है। उसके माता -पिता और बहन सभी मृदुभाषी है। वह काम में नियमितता,कठिन परिश्रम और अच्छी आदतों से प्यार करता है।
मैं अपने घनिष्ठ मित्र से बहुत प्यार करता हूँ ,क्योंकि मेरा मित्र ठीक वैसा ही है जैसा मित्र के बारे में कहा गया है। मित्र वही जो वक्त पर काम आये। मेरे मित्र रमेश न सिर्फ मेरे वक्त पर काम ही आता है बल्कि वह जरुरत पड़ने पर किसी भी विषय पर मुझे उचित मार्गदर्शन भी देता है। मुझे अपने मित्र पर गर्व है।
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