१) मेरा प्रिय नेता
२) जीवन में गुरू का महत्त्व
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Answer : गुरु का महत्व पर निबंध
जीवन में गुरु का महत्व पर निबंध
गुरु का मनुष्य के जीवन में विशेष महत्व होता है। माता -पिता हमारे प्रथम शिक्षक होते है। गुरु का दर्जा माता -पिता से भी ऊंचा होता है। उदहारण स्वरुप अगर हम अँधेरे कमरे में बंद हो जाए, और अन्धकार में ही हम किसी चीज़ को ढूंढ रहे है लेकिन हम विवश है और उस चीज़ को ढूंढ नहीं पा रहे है, ऐसे में गुरु के दिशा निर्देश के बैगर हम उस चीज़ को ढूंढने में असमर्थ है। गुरु जी जैसे ही हमें बताते है और वह चीज़ हमे तुरंत प्राप्त हो जाती है। गुरु के बैगर हमारी ज़िन्दगी दुःख से भर जायेगी और हम जीवन में विभिन्न चीज़ों को सीखने में नाकामयाब होंगे। गुरु हमें अपने जिन्दगी में सही दिशा दिखाते है। वह हमारे जीवन में पथ प्रदर्शक के रूप में कार्य करते है।
भारत में प्राचीन काल से ही गुरु का विशेष महत्व है। मनुष्य के लिए गुरु सबसे ऊपर होता है। गुरु हमे सही मार्ग चुनने में सहायता करते है। गुरु शब्द का निर्माण दो शब्दों को मिलाकर होता है। गुरु में गु का अर्थ है अन्धकार और रु का अर्थ है रोशनी। गुरु हमे अंधकारमय जीवन से प्रकाश की ओर ले जाते है। गुरु एक दिये की तरह होते है, जो शिष्यों के जीवन को रोशन कर देते है। खासकर विद्यार्थी जीवन में गुरु की अहम भूमिका होती है। गुरु विद्यार्थी को हर प्रकार के विषयो से संबंधी जानकारी देते है ओर जीवन के अलग अलग पड़ाव में उन्हें मुश्किलों से लड़ना सीखाते है। विद्यार्थियों को अनुशासित होना, विनम्र, बड़ो का सम्मान करना सीखाते है।
विद्यालय में विद्यार्थी अपने जिन्दगी में सही और गलत का फर्क नहीं कर पाते है। गुरु जी विद्यार्थी को यह अंतर करना सीखाते है, ताकि वे जिन्दगी के कठिनाईयों में सही राह को चुन सके। विद्यार्थी अपने जीवन में हर कठिन परिस्थिति का सामना डट कर और निडर होकर कर सके। गुरु की असीमित शिक्षा और आशीर्वाद से विद्यार्थी जिंदगी के विषम परिस्थितियों को पार कर लेते है।
गुरु की भूमिका सबके जीवन में होती है। हर व्यक्ति गुरु के प्रति आस्था, विश्वास और सम्मान रखता है और छोटे बड़े फैसले लेने से पूर्व अपने गुरु की राय जानना चाहता है। हर व्यक्ति को अलग अलग चीज़ों का ज्ञान प्राप्त करने के लिए गुरु की आवश्यकता होती है। उदाहरण स्वरुप अगर आप गाड़ी चलना सीखना चाहते है, उसके लिए आपको ड्राइविंग गुरु की आवश्यकता होती है, अगर आप संगीत सीखना चाहते है, उसको सीखने के लिए संगीत गुरु की ज़रूरत होती है। अगर हम जीवन में इस प्रकार के कलाओ को सम्पूर्ण रूप से सीखना चाहते है, तो आपको गुरु के पास जाना होता है।
गुरु का प्रमुख उद्देश्य है, विद्यार्थी को सफल बनाना और उन्हें भरपूर ज्ञान प्राप्त करवाना। प्राचीन काल में गुरु शिष्यों को आश्रम में साहित्य, कला और जीवन के फलसफे इत्यादि पर ज्ञान प्रदान करते थे, लेकिन अब वर्त्तमान में गुरु अपने शिष्यों को कॉलेज, स्कूल इत्यादि शिक्षा संस्थानों में शिक्षा प्रदान करते है। शिष्य हमेशा गुरु के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेते थे। गुरु हमेशा शिष्य का भला चाहते है और वे अपने शिष्यों को सफलता की चोटी पर विराजमान देखना चाहते है।
गुरु को सम्मान देने लिए गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है। इस दिन घरो और मंदिरो में विशेष पूजा पाठ होती है। कई स्थानों में जहाँ गुरु अपने शिष्यों की शिक्षा में सम्पूर्ण सहयोग देते है, उनका गुरु पूर्णिमा के दिन आदर सत्कार किया जाता है। इस दिन गुरु दक्षिणा के रूप में दान किया जाता है और इससे शिष्यों को पुण्य प्राप्ति होती है
सच्चा गुरु भक्त अपने सभी लक्ष्यों को पूर्ण करने में सफल होता है। एक बच्चे की प्रथम गुरु उनकी माँ होती है जो उन्हें बोलना, चलना, लिखना पढ़ना सिखाती है। हमेशा से हिन्दू धर्म में गुरु का विशेष महत्व रहा है। संत कबीर ने भी गुरु भक्ति के कई पदों की रचना की थी। एक गुरु हमेशा अपने शिष्य को अपने आप से सफल और श्रेष्ठ देखना चाहता है। यह हमारे गुरु का बड़प्पन है। गुरु सिर्फ शिक्षक के रूप में ही नहीं बल्कि विभिन्न रूपों में हो सकते है जैसे माता, पिता, भाई, बहन, दोस्त। हम विभिन्न लोगो से ज़िन्दगी में सीख सकते है और ज्ञान प्राप्त कर सकते है।
निष्कर्ष
हर किसी के जीवन में गुरु का विशेष महत्व होता है। मनुष्य को गुरु का महत्व समझना चाहिए और जीवन पर्यन्त उनका सम्मान करना चाहिए। उनके आशीर्वाद के बैगर मनुष्य अधूरे है। गुरु को प्रणाम किये बिना हम कोई शुभ कार्य शुरू नहीं करते है। उनके द्वारा दी गयी शिक्षा मनुष्य को जीवन भर काम आती है। उनके आशीर्वाद से कीमती चीज़, उनके शिष्य के लिए और कुछ हो ही नहीं सकती है। गुरु के प्रति हमेशा शिष्य के मन में श्रद्धा होनी चाहिए, तभी शिष्य अपने कार्य के बारीकियों को भली भाँती सीख सकते है।