Hindi, asked by worrinch, 3 months ago

मेरी प्रिय पुस्तक निबंध​

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Answered by shraddhamishra235200
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पुस्तकें मनुष्य की सच्ची मार्गदर्शक और सच्ची मित्र होती हैं. असल में किताबों को ही ज्ञान का भंडार कहा जाता हैं. शिक्षा के दम पर एक व्यक्ति गुणवान, विद्वान, समझदार यहाँ तक कि धनवान भी बन जाता हैं. एक पुस्तक प्रेमी ज्ञानी व्यक्ति कर्मठ, आत्मविश्वासी एवं दिल में दया भाव रखने वाला भी होता हैं.

आज संसार में ज्ञान प्राप्ति के सैकड़ों माध्यम है मगर सभी का मूल आधार तो पुस्तक ही हैं. दुनिया भर में हजारों भाषाएँ बोली और समझी जाती हैं. इन भाषाओं में प्रति मिनट कोई न कोई पुस्तक प्रकाशित होकर लोगों के बीच पहुँच जाती हैं. कहने का मतलब यह है कि ज्ञान पिपासु व्यक्तियों के लिए पुस्तके सरलता एवं सहजता से उपलब्ध हो जाती हैं.

पुस्तकों की रचना अलग अलग विधाओं में होती हैं यथा इतिहास, भूगोल, गद्य, पद्य, कविता, गीत, दर्शन, विज्ञानं आदि आदि. आज के डिजिटल युग में सभी पुस्तकें ऑनलाइन अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए भी उपलब्ध हो जाती हैं. मगर खर्चीली एवं आँखों के लिहाज से यह बेहद हानिकारक भी हैं, इसलिए अधिकतर लोग पुस्तकें मंगवाकर ही पढ़ना पसंद करते हैं.

मुझे जब भी मम्मी पापा से जेब खर्च के लिए पैसे मिलते है तो मैं इन पैसों से नई पुस्तकें लाकर पढ़ना पसंद करता हूँ, बचपन से ही मुझे किताबों के प्रति गहरा लगाव रहा हैं. मेरी कमरे की अलमारी कई बहुमूल्य पुस्तकों एवं उपन्यासों से भरी हैं. मुझे पढ़ने के साथ ही उनके संग्रह में संतोष मिलता हैं. कई किताबें है जिन्हें मैंने एक से अधिक बार पढ़ा हैं, आज भी खाली वक्त मिलता है तो उसे बार बार पढ़ने का मन करता हैं.

वो किताब है पंडित विष्णु शर्मा द्वारा पंचतंत्र. इसकी रोचकता कभी मानों खत्म ही नहीं होती हैं. मेरी सभी प्रिय पुस्तकों में यह सबसे पसंदीदा किताब है इसे मैं जब छठी कक्षा में पढ़ता था जब पुस्तक मेले से लाया था. इस तरह मेरे बचपन से बड़े होने तक की यादे भी इसके साथ जुडी हैं.

पांच भागों में विभक्त इस पुस्तक का रचनाकाल तीसरी सदी माना जाता हैं. कहते है तत्कालीन राजा के युवराज जिन्हें पढ़ाई की बजाय खेलकूद में अत्यधिक रुचि थी उन्हें शिक्षित करने के उद्देश्य से पंचतन्त्र की रचना की गयी थी. मूल रूप से इसकी रचना संस्कृत में की गयी जिसे बाद में अन्य भाषाओं में भी अनुवादित किया गया. जब विष्णु शर्मा ८० वर्ष के थे तब वे इसकी रचना को पूर्ण कर सके थे.

यह पुस्तक कूटनीति उसके शस्त्र साम-दम-दंड-भेद, राजनीति, विज्ञान तथा नैतिक शिक्षा मनोविज्ञान, व्यवहारिकता तथा राजकाज के सिद्धांतों के बारे में समझाती हैं. इसमें लेखनी की कहानी विधा को बेहद रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया हैं. पंचतन्त्र की कहानियों के अधिकतर पात्र पशु पक्षी रखे गये हैं. आज भी यह पुस्तक बच्चों के लिए प्रेरणादायक बाल कहानी की प्रिय पुस्तकों में से एक मानी जाती हैं.

नीति कथाओं की यह सर्वश्रेष्ठ रचना हैं. इसमें एक कहानी को माध्यम बनाकर शिक्षाप्रद संदेश को बेहद सरल तरीके से पाठक तक पहुचाने का प्रयास हुआ हैं. वर्तमान में लगभग दुनिया की सभी भाषाओं में इसका अनुवाद किया गया हैं. इससे हम इस पुस्तक के महत्व का अनुमान लगा सकते हैं.

Answered by gurjantsingh5204
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Thanks for free points...............................

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