Hindi, asked by anandswaroop77, 5 months ago

मेरा प्रिय पौधे पर निबंध

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Answered by kishornyk2
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वृक्षों का महत्व- वृक्ष और मानव दोनों ही प्रकृत्ति की सन्तान हैं. वृक्ष अग्रज है जो उन पर निर्भर मानव उनके अनुज है. हमारे जीवन में वृक्षों का सदा से ही महत्व रहा हैं. वृक्ष हमारे सच्चे मित्र हैं. सुख दुःख के साथी हैं. इनका ह्रदय बड़ा उदार हैं. ये हमें देते ही देते हैं. हमसे बदले में केवल मित्रता की अपेक्षा रखते हैं. ये पर्यावरण के संरक्षक हैं. वृक्षों के अभाव में सुखी और सम्रद्ध जीवन की कल्पना असम्भव हैं.

वृक्षों के लाभ- वृक्षों का सामूहिक नाम वन या जंगल हैं. प्रकृति ने मनुष्य को अपार वन सम्पदा की अमूल्य भेट दी हैं. हमारे जीवन के लगभग हर क्षेत्र में वृक्षों की महत्वपूर्ण उपस्थिति हैं. वृक्षों से हमें अनेक लाभ हैं.

वृक्ष हमें सुंदर प्राकृतिक दृश्यों का स्रजन करते हैं. मन की प्रसन्नता और शांति प्रदान करते हैं.

वृक्षों से हमें अनेक प्रकार के लाभदायक और आवश्यक पदार्थ प्राप्त होते हैं. ईधन, चारा, फल, फूल, औषधियाँ आदि अनेक वस्तुएं हैं.

अनेक उद्योग वृक्षों पर आश्रित हैं. फर्निचर उद्योग, भवन निर्माण उद्योग, खाद्य पदार्थ, तेल मसाले, अनाज आदि से सम्बन्धित उद्योग, औषधि उद्योग वृक्षों पर ही निर्भर हैं.

वृक्ष पर्यावरण को शुद्ध करते हैं. बाढ़ों को रोकते हैं. वर्षा को आकर्षित करते हैं. उपयोगी मिटटी के क्षरण को रोकते हैं.

वृक्षों का विकास- ऐसे निष्कपट, परोपकारी सच्चे मित्रों का विकास करना हमारा नैतिक ही नहीं लाभप्रद दायित्व भी हैं. यदपि प्रकृति स्वयं वृक्षों का विकास करती हैं. किन्तु आज के उद्योग प्रधान और सुख साधनों पर केन्द्रित मानव जीवन ने वृक्षों के विनाश में ही अधिक योगदान किया हैं.

मानव समाज का विकास वृक्षों के विकास का शत्रु सा बन गया हैं. अतः हमें वृक्षों के विकास और संरक्षण पर अधिक ध्यान देना चाहिए. वृक्षों का विकास अधिकाधिक वृक्षारोपण और वनों, उपवनों, पार्कों आदि के संरक्षण से ही संभव हैं. नई नई योजनाओं में वृक्षों की अविवेकपूर्ण और अंधाधुंध कटाई पर नियंत्रण आवश्यक हैं. वृक्षों और वनों के साथ ही मानव जाति का कुशल क्षेम जुड़ा हुआ हैं. अतः वन संपदा का संरक्षण परम आवश्यक हैं. वृक्षारोपण और वृक्ष संरक्षण को एक अभियान के रूप में चलाना शासन का दायित्व हैं.

हमारा दायित्व- यदपि शासन और प्रशासन के स्तर से वृक्ष संरक्षण की दिशा में अधिक सक्रियता की आशा हैं. तथापि हमारा अर्थात समाज के प्रत्येक वर्ग का, यह दायित्व हैं कि वह अपनी अपनी क्षमता और संसाधनों से वृक्षमित्रों की सुरक्षा में तत्पर हो.

वृक्षों को हानि पहुचाने वालों की सूचना ngt राष्ट्रीय हरित न्यायिकरण को दे. राष्ट्रीय, धार्मिक तथा सामाजिक पर्वों, उत्सवों दिवसों आदि पर वृक्षारोपण कराए जाए, छात्र छात्राएं वृक्षारोपण में विशेष रूचि ले.

गृहिणिया घरों में गृह वाटिकाएं लगाने में रूचि ले. विवाह में गोदान नहीं, वृक्ष दान की परम्परा चलाए. समाज के प्रतिस्थित और प्रभावशाली महाशय विभिन्न आयोजनों में तथा मिडिया के माध्यम से वृक्षों की सुरक्षा और आरोपण की प्रेरणा दे.

पर उपकारी विरछ सौ, नाहिं बिरछ सौ मित्र

पाथर मारें देत फल, तरु की नीति विचित्र

Answered by Jaasmeen
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जैसे-जैसे हम वृक्ष के पास जाते हैं हमें उसके वितान के और अधिक लक्षण दिखाई देते हैं । उसकी पत्तियों के प्रकार एवं उसकी शाखाओं के पैटर्न को, जो आपको स्पष्ट रूप से दिखते हैं, नोट कर लें । कुछ वृक्षों में ये विशिष्ट प्रकार के होते हैं व उनसे हम वृक्षों की पहचान कर सकते हैं ।

वृक्षों का और अधिक पास से अवलोकन:

जब हम किसी बड़े वृक्ष के एकदम पास खड़े होते हैं तब हमें उसका तना सबसे अधिक भव्य लगता है । हमें यह भी स्पष्ट हो जाता है कि विभिन्न प्रकार के वृक्षों के तनों के आकार में भिन्नता होती है तथा उस आकार का उसकी ऊंचाई से कोई संबंध नहीं रहता ।

सुपारी का वृक्ष बहुत पतला होते हुए भी नीम के वृक्ष से अधिक ऊंचा होता है जबकि नीम का तना मोटा हो सकता है । इसके बावजूद भी कुछ वृक्षों के तनों के आकार से उनकी आयु व वृद्धि-दर का अनुमान लगाया जा सकता है ।

किसी वृक्ष के तने के घेरे को समय-समय पर नापकर उसकी वृद्धि-दर को जाना जा सकता है तथा उसी प्रकार के अन्य वृक्ष जो उन्हीं परिस्थितियों में बड़ा हुआ हो, उसकी आयु का अनुमान भी इस वृद्धि-दर द्वारा लगाया जा सकता है । किन्तु इस वृद्धि-दर से अन्य वृक्षों की आयु का अनुमान नहीं लगाया जा सकता जो भिन्न मिट्टी में तथा भिन्न मौसमी परिस्थितियों में बढ़े हैं ।

यदि किसी वृक्ष का तना मूल से काट दिया गया हो तो उसमें अंकित वृद्धि वलयों को गिनकर हम उस वृक्ष की आयु जान सकते हैं । ये वलय प्रतिवर्ष में एक होता है तथा उस वृक्ष की वृद्धि दर को भी दर्शाता है । यदि वलय चौड़े हैं तो वृद्धि की तीव्र गति होती है तथा इन वलयों की चौड़ाई में अन्तर उस वृक्ष के जीवनकाल में आए मौसमी परिवर्तनों को दर्शाते हैं । वृक्षों के वलयों को आरा मिल में लकड़ी के लट्ठों में आसानी से देखा जा सकता है तथा वहां से वलय वाली खप्पचियां भी एकत्र की जा सकती हैं ।

वृक्ष आवास के रूप में:

वृक्ष के प्रत्येक भाग का पृथक से अवलोकन करने से पूर्व हम उसे पहले समग्र रूप में देखें । वृक्ष के अन्य भागों के अलावा उस पर अनेक जीव आवास करते हुए हमें दिखेंगे । एक बड़ा व पुराना वृक्ष आवास हेतु उपयुक्त होता है । हम अनेक जीवों को वृक्षों में घोंसले बनाकर रहते हुए, आराम करते हुए अथवा भोजन की तलाश करते हुए पाएंगे ।

वृक्षों पर हम अनेक प्रकार के जीव देख सकते हैं । इनमें पक्षी व स्तनधारी जीव जैसे बंदर तथा गिलहरियां हो सकती है । धामिन (रैट स्नेक), बेल सांप (वाइन स्नेक) अथवा दुर्लभ प्रकार के अंडे खाने वाले सांप, पत्तियों पर अथवा वृक्ष की छाल में बहुत बड़ी संख्या में कीड़े-मकोड़े तथा छिपी हुई दीमक भी वृक्षों में हो सकती है ।

हो सकता है आपकी पालतू बिल्ली भी वृक्ष पर किसी शरारत करने की सोच में आपको बैठी मिले आप कुत्ते को भी वृक्ष के तने पर चढ़ते हुए, बिल्ली का पीछा करते पा सकते हैं । आप वृक्षों पर अनेक प्रकार के अन्य पौधे भी देख सकते हैं-जैसे शैवाल या काई के कुछ टुकड़े, परजीवी पौधे जो वृक्ष पर ही बढ़ते है अथवा लताएं जो वृक्ष के सहारे बढ़ती हैं । इसलिए हम इसे वास्तविक अर्थ में जीवन का वृक्ष कहते हैं ।
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