मेरा प्रिय टाईम पास 200 words
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मेरा प्रिय टाइम पास
प्रत्येक व्यक्ति अपना फालतू टाइम किसी न किसी ढंग से बिताता है। इससे उसका समय बीतता है, वहीं उसे आनंद की अनुभूति भी होती है। कई लोग ताश खेलकर तो कई टी.वी. देखकर अपना टाइम पास करते हैं, पर मैं तो मनोरंजक एवं ज्ञानवर्धक पुस्तक पढ़कर टाइम पास करता हूँ। ये पुस्तकें ही मेरा टाइम पास हैे।
यद्यपि मैं अपने काम में व्यस्त रहता हूँ, पर जब कभी मुझे फुर्सत के क्षण मिलते हैं तब मैं अपने निजी पुस्तकालय से कोई पुस्तक निकाल लेता हूँ और उसे पढ़ने में लग जाता हूँ। मुझे एक प्रकार से पुस्तकें पढ़ने का व्यसन है। हाँ, मैं ज्यादा मोटी पुस्तकें पढ़ना नहीं चाहता। पाॅकेट साइज़ की पुस्तकें मुझे अच्छी लगती हैं। ये थोड़े समय में पढ़ी जा सकती हैं। मुझे उपन्यास और कहानियाँ पढ़ना अच्छा लगता है। पर मैं मनोरंजक कथा साहित्य पढ़ता हूँ। इससे मुझे आनंद की अनुुभूति होती है। टाइम पास में आनंदनुभूति आवश्यक है। उपदेशात्मक पुस्तकें टाइम पास न होकर उबाऊ हो जाती हैं। हाँ, कभी-कभी मैं साहित्यकारों की आत्मकथा पढ़ लेता हूँ। राजनेताओं की आत्मकथा मुझे पसंद नहीं। साहित्यकार का जीवन अनेक रोचक और पे्ररक घटनाओं से भरा होता है तथा उनका प्रस्तुतिकरण भी मन को प्रिय लगता है। अतः मैं उनकी आत्मकथा पढ़कर टाइम पास करता हूँ। मुुझे हरिवंशराय बच्चन की आत्मकथा ‘क्या भूलूँ क्या याद करूँ’ तथा अमृता प्रीतम की आत्मकथा ‘रसीद टिकट’ पढ़कर विशेष आनंद की अनुभूति होती है। मैं इनकी आत्मकथा का कोई न कोई अंश पढ़कर टाइम पास करता हूँ।