Hindi, asked by sdighole111, 1 year ago

मेरा प्रिय त्यौहार निबंध १०० शब्द

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Answered by mitanshii
57

प्रस्तावना

सभी के लिये प्रिय होली खुशियाँ और सुख लाने वाला त्योहार होता है। होली का इंतजार सभी लोग करते हैं। होली रंगो का त्योहार है। होली पर सब अपने गिले, शिकवे भुला कर एक दूसरे को गले लगाते है। ये हर साल हिन्दू धर्म के द्वारा मनाया जाने वाला बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व होता है। ये आमतौर पर मार्च के महीने में वसंत ऋतु की शुरुआत में आता है। सभी इसका बेसब्री से इंतजार करते है और इसको अलग तरीके से मनाने की तैयारी करते हैं।

होलिका और प्रह्लाद की कहानी

होली को मनाने के पीछे भक्त प्रह्लाद की मुख्य भूमिका है। भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को उसी के पिता ने उसकी पूजा न करने पर मारने का प्रयास किया, इसके लिये उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठने को कहा क्योंकि होलिका को ये वरदान था कि वो आग में जल नहीं सकती चूंकि प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था इसलिये इस आग में उसे कोई नुकसान नहीं हुआ जबकि आशीर्वाद पायी होलिका जलकर भस्म हो गई। उसी दिन से हर साल ये त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रुप में मनाया जाता है।

होली की तैयारी

रंगों की होली के एक दिन पहले, लोग लकड़ी, घास और गोबर के ढेर को रात में जलाकर होलिका दहन की पौराणिक कथा को याद करते है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन परिवार के सभी सदस्यों द्वारा सरसों उबटन का मसाज शरीर पर करवाने से शरीर और घर की गंदगी साफ हो जाती है और घर में खुशियाँ और सकारात्मक शक्तियों का प्रवेश होता है।

होलिका दहन के अगले दिन सभी लोग अपने मित्र, परिवार और सगे-संबंधियों के साथ रंगों से खेलते है। इस दिन बच्चे गुबारों और पिचकारियों में रंग भरकर दूसरों पर फेंकते है। सभी एक-दूसरे के घर जाकर गले लगाते है साथ ही अबीर लगाकर अपनत्व और प्यार का इजहार करते है। इस खास अवसर पर सभी अपने घर में मिठाई, दही-बढ़े, नमकीन, पापड़ आदि बनवाते है।

कैसे मनाये सौहार्दपूर्ण होली

होली खेलने के लिए लोग तरह-तरह के रंगो का प्रयोग करते है। पुराने ज़माने के लोग प्राकृतिक रंग का प्रयोग करते थे जिसके वजह से उनके स्किन को कोई नुकसान नहीं पहुँचता। लेकिन अब लोग केमिकल बेस्ड रंग का प्रयोग करते है। गुलाल का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि किसी को कोई नुकसान न पहुंचे। किसी को जबरदस्ती रंग नहीं लगाना चाहिए क्योंकि किसी-किसी की त्वचा संवेदनशील होती है। केमिकल वाले रंग त्वचा के लिए बहुत ही हानिकारक होते है लोगों से निवेदन है की वो केमिकल रहित रंग का प्रयोग करे और अपनी होली को बहुत रोमांचक बनाये।

होली से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

होली खेलने के एक दिन पहले होलिका जलना बहुत ही महत्वपूर्ण है।

होली खेलने का सबसे अच्छा समय सुबह से दोपहर तक का होता है।

होली का मनाना ऋतुराज बसंत के आने का संकेत है।

निष्कर्ष

होली रंगो और हँसी -ख़ुशी का त्योहार है। लेकिन होली के कई रूप देखने को मिलते है। प्राकृतिक रंगों के स्थान पर रासायनिक रंगों का प्रचलन, भांग-ठंडाई की जगह नशेबाजी और लोक संगीत की जगह फिल्मी गानों का प्रचलन इसके कुछ आधुनिक रूप हैं।

Answered by TAL2005
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दिवाली निबंध 3 (400 शब्द)
प्रस्तावना

दीपावली एक महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध उत्सव है जिसे हर साल देश और देश के बाहर विदेश में भी मनाया जाता है। इसे भगवान राम के चौदह साल के वनवास से अयोध्या वापसी के बाद और लंका के राक्षस राजा रावण को पराजित करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

भगवान राम की वापसी के बाद, भगवान राम के स्वागत के लिये सभी अयोध्या वासियों ने पूरे उत्साह से अपने घरों और रास्तों को सजा दिया। ये एक पावन हिन्दू पर्व है जो बुराई पर सच्चाई की जीत के प्रतीक के रुप में है। इसे सिक्खों के छठवें गुरु श्रीहरगोविन्द जी के रिहाई की खुशी में भी मनाया जाता है, जब उनको ग्वालियर के जेल से जहाँगीर द्वारा छोड़ा गया।

दीपावली कब-क्यों मनाई जाती है?

ये पर्व कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन मनाई जाती है। अमावस्या के दिन बहुत ही अँधेरी रात होती है जिसमें दीवाली पर्व रोशनी फ़ैला ने का काम करती है। वैसे तो इस पर्व को लेकर कई कथाये है लेकिन कहते हैं भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, इस खुशी में अयोध्या वासियों ने दीये जलाकर उनका स्वागत किया था।

बाजारों को दुल्हन की तरह शानदार तरीके से सजा दिया जाता है। इस दिन बाजारों में खासा भीड़ रहती है खासतौर से मिठाइयों की दुकानों पर, बच्चों के लिये ये दिन मानो नए कपड़े, खिलौने, पटाखे और उपहारों की सौगात लेकर आता है। दीवाली आने के कुछ दिन पहले ही लोग अपने घरों की साफ-सफाई के साथ बिजली की लड़ियों से रोशन कर देते है।



दीवाली उत्सव की तैयारी

दीवाली के दिन सब बहुत खुश रहते है एक दूसरे को बधाइयां देते है। बच्चे खिलौने और पटाके खरीदते है, दीवाली के कुछ दिन पहले से ही घर में साफ़ सफाई शुरू हो जाती है। लोग अपने घर का सज-सज्जा करते है। लोग इस अवसर पर नए कपड़े, बर्तन, मिठाइयां आदि खरीदते है।

देवी लक्ष्मी की पूजा के बाद आतिशबाजी का दौर शुरु होता है। इसी दिन लोग बुरी आदतों को छोड़कर अच्छी आदतों को अपनाते है। भारत के कुछ जगहों पर दीवाली को नया साल की शुरुआत माना जाता है साथ ही व्यापारी लोग अपने नया बही खाता से शुरुआत करते है।
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