Hindi, asked by ruchisingh8271326899, 2 months ago

मेरा प्रिय त्योहार पर ऐसे in 200 words​

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Answered by Anonymous
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हमारा भारत भौगोलिक दृष्टि से विस्तृत फैला हुआ देश हैं. यहाँ की सांस्कृतिक एवं धार्मिक विविधता अनूठी हैं भारत में कई धर्मों का अनुसरण करने वाले लोग निवास करते हैं. सभी के अलग अलग त्योहार हैं. होली, दिवाली तथा रक्षाबंधन हिन्दुओं के महापर्व माने जाते हैं.

भारत के बारे में कहा जाता हैं कि यहाँ वर्ष के बारह महीने के दिनों कोई न कोई दिवस, पर्व अवश्य मनाया जाता हैं. सभी पर्वों का अलग अलग महत्व हैं दिवाली मेरा प्रिय त्योहार है जो करोड़ों भारतीयों के दिलों से जुड़ा त्योहार हैं. हिन्दू धर्म का सबसे पावन पर्व हिन्दू कलैंडर के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या के दिन मनाया जाता हैं.

दिवाली का त्योहार कई दिनों के उत्सवों का एक सामूहिक नाम हैं. जिसकी शुरुआत धनतेरस से हो जाती हैं इस दिन बर्तन गहने तथा कीमती वस्तुएं खरीदने की परम्परा हैं. इसका अगला दिन नरक चतुदर्शी का होता हैं इसे छोटी दिवाली भी कहते हैं. इस दिन एक दीपक जलाने की परम्परा हैं.

कार्तिक अमावस्या का दिन दिवाली उत्सव का मुख्य दिन होता हैं. इस रात्रि को शुभ मुहूर्त में पूजन के साथ माँ लक्ष्मी को प्रसन्न किया जाता हैं. दीपावली का अगला दिन गौवर्धन पूजा का होता हैं, इस अवसर पर गायों व बछड़ों का पूजन किया जाता हैं. इस पंचदिवसीय पर्व का आखिरी दिन भैया दूज है जिसे भाई बहिन का त्योहार भी कहते हैं.

दिवाली के त्यौहार का धार्मिक, पौराणिक तथा सामाजिक दृष्टि से अपना महत्व हैं. इसकों मनाने के पीछे की मूल कथा का सम्बन्ध भगवान राम से जुड़ा हैं. कहते हैं जब श्रीराम राक्षस राज रावण का वध करने के बाद जब चौदह वर्ष के वनवास की अवधि पूर्ण कर अयोध्या आए तो उनके आगमन को लोगों ने उत्सव की तरह घी के दीपक जलाकर मनाया.

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Answered by eflanita1986
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Explanation:

भारत त्योहारों का देश है, यहां कई प्रकार के त्योहार पूरे साल ही आते रहते हैं लेकिन दीपावली सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। यह त्योहार पांच दिनों तक चलने वाला सबसे बड़ा पर्व होता है। इस त्योहार का बच्चों और बड़ों को पूरे साल इंतजार रहता है। कई दिनों पहले से ही इस उत्सव को मनाने की तैयारियां शुरू हो जाती है।

इस दिन भगवान श्रीराम, माता सीता और भ्राता लक्ष्मण चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अपने घर अयोध्या लौटे थे। इतने सालों बाद घर लौटने की खुशी में सभी अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। तभी से दीपों का त्योहार दीपावली मनाया जाने लगा।

यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। अमावस्या की अंधेरी रात जगमग असंख्य दीपों से जगमगाने लगती है। यह त्योहार लगभग सभी धर्म के लोग मनाते हैं। इस त्योहार के आने के कई दिन पहले से ही घरों की लिपाई-पुताई, सजावट प्रारंभ हो जाती है। इन दिन पहनने के लिए नए कपड़े बनवाए जाते हैं, मिठाइयां बनाई जाती हैं। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है इसलिए उनके आगमन और स्वागत के लिए घरों को सजाया जाता है।

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