Hindi, asked by devammakwana, 3 months ago

मेरा प्रिय त्यौहार
त्यौहार का नाम कब आता है ? - त्यौहार के साथ जुडी धार्मिक बातें - कैसे मनाते है -
फायदे - उपसंहार |​

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Answered by ayeshaalam38
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हमारा भारत भौगोलिक दृष्टि से विस्तृत फैला हुआ देश हैं. यहाँ की सांस्कृतिक एवं धार्मिक विविधता अनूठी हैं भारत में कई धर्मों का अनुसरण करने वाले लोग निवास करते हैं. सभी के अलग अलग त्योहार हैं. होली, दिवाली तथा रक्षाबंधन हिन्दुओं के महापर्व माने जाते हैं.

भारत के बारे में कहा जाता हैं कि यहाँ वर्ष के बारह महीने के दिनों कोई न कोई दिवस, पर्व अवश्य मनाया जाता हैं. सभी पर्वों का अलग अलग महत्व हैं दिवाली मेरा प्रिय त्योहार है जो करोड़ों भारतीयों दिलों से जुड़ा त्योहार हैं. हिन्दू धर्म का सबसे पावन पर्व हिन्दू कलैंडर के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या के दिन मनाया जाता हैं.

दिवाली का त्योहार कई दिनों के उत्सवों का एक सामूहिक नाम हैं. जिसकी शुरुआत धनतेरस से हो जाती हैं इस दिन बर्तन गहने तथा कीमती वस्तुएं खरीदने की परम्परा हैं. इसका अगला दिन नरक चतुदर्शी का होता हैं इसे छोटी दिवाली भी कहते हैं. इस दिन एक दीपक जलाने की परम्परा हैं.

कार्तिक अमावस्या का दिन दिवाली उत्सव का मुख्य दिन होता हैं. इस रात्रि को शुभ मुहूर्त में पूजन के साथ माँ लक्ष्मी को प्रसन्न किया जाता हैं. दीपावली का अगला दिन गौवर्धन पूजा का होता हैं, इस अवसर पर गायों व बछड़ों का पूजन किया जाता हैं. इस पंचदिवसीय पर्व का आखिरी दिन भैया दूज है जिसे भाई बहिन का त्योहार भी कहते हैं.दिवाली के त्यौहार का धार्मिक, पौराणिक तथा सामाजिक दृष्टि से अपना महत्व हैं. इसकों मनाने के पीछे की मूल कथा का सम्बन्ध भगवान राम से जुड़ा हैं. कहते हैं जब श्रीराम राक्षस राज रावण का वध करने के बाद जब चौदह वर्ष के वनवास की अवधि पूर्ण कर अयोध्या आए तो उनके आगमन को लोगों ने उत्सव की तरह घी के दीपक जलाकर मनाया.

रामायण के प्रसंगों के मुताबिक़ राम, सीता और लक्षमण के अयोध्या होने के बाद राम को अयोध्या का राजा घोषित कर उनका राजतिलक किया गया. प्रजा ने इन अवसरों पर घर पर घी के दीप प्रज्वलित किये. इस तरह सदियों से इस परम्परा का निर्वहन करते हुए दिवाली के उत्सव को आज भी घी के दीपक जलाते हैं.दिवाली के पर्व की तैयारी की शुरुआत कई महीनों पूर्व से ही शुरू हो जाती हैं. लोग दशहरा के बाद से अपने घर, दुकान, दफ्तर आदि की साफ़ सफाई, रंग रोगन व सजावट में लग जाते हैं. दिवाली से दो दिन पूर्व धनतेरस पर हर कोई थोड़ी या अधिक खरीददारी अवश्य करता हैं. अमावस्या की रात्रि को शुभ मुहूर्त के समय धन की देवी माँ लक्ष्मी का पूजन कर दीप प्रज्वलित किये जाते हैं.

प्रत्येक समाज में ख़ुशी के पर्वों का बड़ा महत्व हैं. रौशनी का त्योहार दिवाली भी जन जन के दिलों को उल्लास से भर देता हैं. रोजमर्रा के व्यस्त जीवन के बीच कुछ दिनों के अवकाश और पर्व की तैयारी व खरीददारी के अवसर को कोई नहीं छोड़ना चाहता. पर्व के मौके पर आस-पास का परिदृश्य पूरी तरह बदल जाता हैं. सभी लोग नये व रंग बिरंगी वेशभूषा में नजर आते हैं घर स्वच्छ होते हैं रंगोलियों से आँगन सजे होते हैं दीपकों की मालाएं स्वर्ग सा पावन नजारा प्रस्तुत करती हैं.बचपन से मुझे दिवाली का उत्सव बहुत प्रिय रहा हैं. जब मैं अपने माता पिता के साथ बाजार जाकर खरीददारी करने में उनका हाथ बंटाता, कई दिनों तक घर की सफाई के महोत्सव में सभी शामिल होते, दूर दूर के रिश्तेदार घर आते तथा सबसे बड़ा तोहफा हमारी स्कूल की छुट्टियों का था. सम्भवतः वर्षभर में सबसे अधिक छुट्टियों का आनन्द मुझे इसी दिन प्राप्त होता था.

मानव सदा से उत्सव प्रिय रहा हैं. अक्सर मौसम परिवर्तन के अवसरों पर त्यौहार मनाए जाते हैं जिससे विगत कुछ महीनों की जीवन शैली को बदलने के लिए एक उत्सव के रूप में नये सीजन में प्रवेश किया जाता हैं प्राचीन पर्व दिवाली भी एक ऐसा ही पर्व हैं जो वर्षा ऋतु की समाप्ति और शरद ऋतु के आगमन के समय में मनाया जाता हैं. इस समय दीपक की रौशनी तथा घर व आसपास की साफ़ सफाई से वातावरण में कीटाणु समाप्त हो जाते हैं, इस तरह यह पर्व हमारे वातावरण को स्वच्छ रखने में भी अहम भूमिका निभाता हैं.

Answered by shashikantkatpadi
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Answer:

भारत त्योहारों का देश है, यहां कई प्रकार के त्योहार पूरे साल ही आते रहते हैं लेकिन दीपावली सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। यह त्योहार पांच दिनों तक चलने वाला सबसे बड़ा पर्व होता है। इस त्योहार का बच्चों और बड़ों को पूरे साल इंतजार रहता है। कई दिनों पहले से ही इस उत्सव को मनाने की तैयारियां शुरू हो जाती है।

इस दिन भगवान श्रीराम, माता सीता और भ्राता लक्ष्मण चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अपने घर अयोध्या लौटे थे। इतने सालों बाद घर लौटने की खुशी में सभी अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। तभी से दीपों का त्योहार दीपावली मनाया जाने लगा।

यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। अमावस्या की अंधेरी रात जगमग असंख्य दीपों से जगमगाने लगती है। यह त्योहार लगभग सभी धर्म के लोग मनाते हैं। इस त्योहार के आने के कई दिन पहले से ही घरों की लिपाई-पुताई, सजावट प्रारंभ हो जाती है। इन दिन पहनने के लिए नए कपड़े बनवाए जाते हैं, मिठाइयां बनाई जाती हैं। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है इसलिए उनके आगमन और स्वागत के लिए घरों को सजाया जाता है।

यह त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता है। धनतेरस से भाई दूज तक यह त्योहार चलता है। धनतेरस के दिन व्यापार अपने नए बहीखाते बनाते हैं। अगले दिन नरक चौदस के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करना अच्‍छा माना जाता है। अमावस्या यानी कि दिवाली का मुख्य दिन, इस दिन लक्ष्मीजी की पूजा की जाती है। खील-बताशे का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

दीपावली का त्योहार सभी के जीवन को खुशी प्रदान करता है। नया जीवन जीने का उत्साह प्रदान करता है। कुछ लोग इस दिन जुआ खेलते हैं, जो घर व समाज के लिए बड़ी बुरी बात है। हमें इस बुराई से बचना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हमारे किसी भी कार्य एवं व्यवहार से किसी को भी दुख न पहुंचे, तभी दीपावली का त्योहार मनाना सार्थक होगा। पटाखे सावधानीपूर्वक छोड़ने चाहिए, ताकि किसी भी तरह की अनहोनी से बचा जा सके।

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