मीरा पाठ का भाव और शिल्प सौंदर्य
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भाव-सौंदर्य – इस पद में मीरा की भक्ति अपनी चरम सीमा पर है। मीरा ने अपने आँसुओं के जल से सींचकर- सींचकर कृष्ण रूपी प्रेम की बेल बोई है और अब उस प्रेमरूपी बेल में फल आने शुरू हो गए हैं अर्थात् मीरा को अब आनंदाभूति होने लगी है। शिल्प-सौंदर्य – भाषा मधुर, संगीतमय और राजस्थान मिश्रित भाषा है।
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