मेरी पाठशाला essay in hindi
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मैं apne school ka name मुंगेर में पढ़ती हूं। यह मुंगेर के प्राचीन विद्यालयों में से एक है। हमारा विद्यालय लगभग 30 वर्षों से शिक्षा क्षेत्र में सेवारत है। मेरे स्कूल की पठन-पाठन व्यवस्था काफी अच्छी है। गर्मियों के समय मे मेरे स्कूल का समय 6:00 AM to 2:00 PM होती है तथा सर्दियों के समय में मेरा स्कूल सुबह 8:00 AM to 2:30 PM तक चलती है। कक्षा प्रारंभ होने होने से पहले हम सभी छात्र-छात्राऍ अपने स्कूल के Play Ground (खेल मैदान) मैं भगवान से प्रार्थना करते है।
प्रार्थना समाप्त होने के पश्चात हम सभी अपने अपने कक्षा रूम में चले जाते हैं। फिर हम सभी अपनी पढ़ाई शुरू करते है। हमारे स्कूल में 12:00 PM मे मध्यवकाश (Lunch) की घंटी लगती है। जो 30 मिनट की होती है। इसमें हम सभी छात्र-छात्रा अपनी इच्छानुसार अपना अपना नाश्ता करते हैं और जो बाकी समय मिलता है उसमें खेलते हैं या अन्य कोई काम करते हैं। मैं अपने स्कूल में कक्षा 11वीं की छात्रा हूं। मैंने अपनी स्कूली पढ़ाई की शुरुआत इसी स्कूल से करी है, अर्थात मैं अपने विद्यालय में कक्षा नर्सरी से ही अध्ययनरत हूँ।
यहां की पढ़ाई से लेकर अनुशासन व्यवस्था इतनी अच्छी है कि हमें कभी किसी दूसरे स्कूल मैं जाने को सोचने का मौका ही नहीं दिया। मैं अपने School मे पिछले 10 वर्षों से शिक्षा ग्रहण कर रही हूं। मैंने काफी अच्छे अंकों के साथ अपनी 10वीं की परीक्षा भी इसी स्कूल से उत्तीर्ण हुई हूं। परंतु आज तक हमें ऐसा कुछ अहसास ही नहीं हुआ है कि, हमारे विद्यालय में हमें किसी भी चीज की कमी महसूस हुई हो। इस प्रकार मैं कहूं तो मेरे स्कूल की पढ़ाई से लेकर अन्य सारी व्यवस्था इतनी अच्छी है कि कभी किसी को इसकी खामियाँ या फिर कहे तो कमजोरी निकालने का मौका ही नहीं मिला।
मेरे स्कूल के सारे मान-सम्मान को बढ़ाने का श्रेय मेरे विद्यालय के प्रधानाध्यापक के साथ-साथ स्कूल मैं कार्यरत सभी स्टाफ को जाता है। मेरा विद्यालय शोर-शराबे वाले स्थान से दूर एक काफी शांतिपूर्ण एवं स्वच्छ वातावरणीय स्थान में स्थित है और पुराने ऐतिहासिक मुंगेर दुर्ग के सामने है। मेरा स्कूल दूर से ही देखने में काफी भव्य और भड़कीला सा लगता है। क्योंकि ये है ही कुछ अलग तरीके से बना हुआ। मेरे विद्यालय में कक्षा नर्सरी से 12वी तक की पढ़ाई होती है।
मेरे स्कूल में करीब 2000 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। मेरा स्कूल काफी बड़े मैदान में बनी हुई है। मेरे ख्याल से मेरा स्कूल करीब 2 एकड़ जमीन में बना हुआ है। मेरे विद्यालय तीन मंजिला मकान है। जिसमें 40 बड़े-बड़े कक्षा रूम है। सभी रूम हवादार है तथा प्रत्येक कमरा में दो get एवं पांच खिड़कियां लगी हुई है और कुल मिलाकर सभी कक्षा में लगभग 1000 Bench-Dex लगे हुए है। इसके अलावे मेरे विद्यालय में 25 शौचालय एवं 20 चापाकल है। इतना ही नहीं मेरे स्कूल में एक बड़ा सा कार्यालय भी बना हुआ है।
जिसमें हमारे प्रधानाध्यापक एवं अन्य स्टाफ अपना कोई भी कालजात संबंधी कार्य करते हैं। मेरे विद्यालय में एक मंदिर भी बनी हुई है। जिसमें मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित है। जिसे हम सभी स्वर और विद्या की देवी मानते हैं। यह मंदिर काफी सुंदर और आकर्षक है। मेरे स्कूल में छात्रावास की भी व्यवस्था है। जिसमें करीब एक सौ छात्र रहते हैं। मेरे विद्यालय मे एक रसोई घर भी है। जिसमें छात्रावास में रहने वाले सभी विद्यार्थियों का भोजन बनता है। मेरे विद्यालय मे एक बड़ा सा पुस्तकालय भी है। यह पुस्तकालय हमारे विद्यालय के सभी छात्र छात्राओं के लिए काफी उपयोगी है।
इसमें लगभग सभी भाषा के किताबें एवं पत्र-पत्रिकाएं उपलब्ध होते हैं। मेरा विद्यालय चारों ओर से ऊंची दीवारों के द्वारा घेरा हुआ है। मेरे विद्यालय में प्रधानाध्यापक के अलावा एक उप प्रधानाध्यापक एवं 40 शिक्षक एवं शिक्षिकाएं हैं। मेरे विद्यालय में 15 सफाईकर्मी, 3 आदेशपाल (peon) एवं पांच सुरक्षाकर्मी (Security) भी है। मेरे स्कूल में प्रत्येक वर्ष सभी कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए अर्ध-वार्षिक तथा वार्षिक परीक्षा भी लिए जाते हैं। हमारे विद्यालय में साप्ताहिक Test भी होती है। मेरे स्कूल की अपनी 20 गाड़ियां भी है।
जिसका पालन हम सभी छात्र-छात्राओं को करना पड़ता है। यही कारण है कि हमारे स्कूल के सभी विद्यार्थी काफी अनुशासित तथा आज्ञाकारी है। हमारे स्कूल में कभी-कभी विद्यार्थियों की इच्छा अनुसार विशेष Class भी दी जाती है। जैसे- नैतिक शिक्षा, व्यायाम, चित्रकला, संगीत, आदि। यहां के सभी छात्र- छात्राओं में अच्छे संस्कार एवं व्यवहार कूट-कूट कर भरे हैं। सभी छात्र-छात्रा अपने अपने पढ़ाई पर काफी ध्यान देते हैं। प्रत्येक दिन सफाई कर्मियों के द्वारा मेरे पूरे स्कूल का सफाई होती है। यही कारण है कि यहां कभी किसी प्रकार की गंदगी देखने को नहीं मिलती है। यहां के सभी विद्यार्थी काफी सहनशील और परिश्रमी है। यही कारण है कि आज के इस आधुनिक दौड़ में भी मेरा विद्यालय अन्य विद्यालयों से भिन्न है।