'मेरे पाँव झनझन करने लगे थे, पर मन वृंदावन हो रहा था।'-इस पंक्ति में निहित लेखिका
की मनोभावना को 'साना-साना हाथ जोड़ि..' पाठ के आधार पर अपने शब्दों में लिखिए|
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साना साना हाथ जोड़ि’ पाठ में लेखिका ने इन पंक्तियों के माध्यम से अद्भुत प्राकृतिक दृश्य का वर्णन किया है, जिसे देखकर उनका मन अभिभूत हो गया। सिक्किम की अपनी यात्रा के दौरान हिमालय के अद्भुत सौंदर्य को देखकर उन्हें लगा कि उनका अपना अस्तित्व हिमालय के विराट स्थित सौंदर्य के आगे एक तिनके के समान है। वह अद्भुत दृश्य देखकर अत्यंत रोमांचित होने लगी और उनका तन-मन एकदम शांत होकर भाव विभोर हो उठे और कंठ गदगद करने लगा।
उन्हें ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उनके अंदर की सारी तामसिकतायें एकदम से स्वाहा हो गई हैं। उन्हें इस अद्भुत सौंदर्य में वृंदावन जैसी पवित्रता का बोध हो रहा था। उनका मन कर रहा था कि इस आलौकिक सौंदर्य को अपने दामन में समेट लें। भले वह व्यवहारिक रूप से अनंत सौंदर्य को अपने दामन में नहीं समेट सकतीं थी, लेकिन इस अद्भुत सौंदर्य के दर्शन करके उनकी आत्मा तृप्त हो चुकी थी। वह बस मंत्रमुग्ध होकर इस अप्रतिम सौंदर्य को निहारे जा रही थीं।