मेरा प्यारा भारत देश निबंध कक्षा छठी
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भारत सिर्फ एक शब्द नहीं है यह हर भारतीय के दिल की आवाज है। भारत एक देश है जहाँ पर हम सभी इसकी छत्रछाया में रहते हैं। राष्ट्र ही मनुष्य की सबसे बड़ी संपत्ति होती है। भारत को हर भारतीय अपनी माँ मानता है। जिस भूमि के अन्न-जल से मनुष्य का शरीर बनता है, विकसित होता है, राष्ट्र के लिए उसका अनायास प्रेम और राष्ट्र के प्रति श्रद्धा और लगाव उत्पन्न हो जाता है।
सभी प्राणी अपनी जन्मभूमि से प्यार करते हैं और जिससे प्यार किया जाता है उसकी हर चीज में सौंदर्य दिखाई देता है। उसकी हर वस्तु प्रिय लगने लगती है। हमें भी अपने भारत से बहुत प्यार है और यहाँ की हर चीज में सुंदरता दिखाई देती है। हमारा भारत इतना पवित्र और गरिमामय है कि भगवान भी यहाँ पर जन्म लेने के लिए लालायित रहते हैं।
हमारी जन्म भूमि भारत स्वर्ग से भी बढकर है। यहाँ पर बहुत से ऐसे स्थल है जो भारत के सबसे अधिक सुंदर स्थलों में गिने जाते हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत ने सातवाँ स्थान प्राप्त किया है और जनसंख्या में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। हमारा भारत दुनिया के विकासशील देशों में से एक है। हमारा भारत बहुत ही तेज गति से विकास की ओर अग्रसर हो रहा है।
मेरा प्यारा भारत देश
भारत : हम सबका प्रिय – सभी प्राणी अपनी जन्मभूमि को जन से भी पियारा मानते हैं तथा उसी की सबसे सुंदर मानते हैं | हम भारतवासियों के लिए भी हमारा भारत सबसे प्रिय है |
प्राकृतिक सौंदर्य – प्राकृति ने भारत की देह का निर्माण एक सुंदर देवी के रूप में क्या है | हिमाचल की बर्फ से ढकी पहाड़ियाँ उसका सुंदर मुकुट है | अटक से कटक तक फैली उसकी विस्तुत बाहें है | कन्याकुमारी उस देवी के चरण हैं जो तीन ओर से घिरे समुंद्र में विहार करने का निरंतर आनंद ले रहे है | गंगा-यमुना की धाराएँ उस देवी की छाती से निकलने वाला अमृत है जिसका पान करके देश के एक अरब पुत्र धन्य होते है |
विविधताओं का सागर – भारतवर्ष विविधताओं का जादू-भरा पिटारा है | इसमें पहाड़ियाँ भी है, समुंद्र भी ; जल-पूरित प्रदेश भी हैं तो सूखे रेगिस्तान भी ; हरियाली भी है ; उजाड़ भी ; तपती लू भी है तो शीतल हवाएँ भी ; बीहड़ वन भी हैं तो विस्तुत मैदान भी ; यहाँ वसंत भी है तो पतझड़ भी | यहाँ खान-पान, रहन-सहन, धर्म-साधना, विचार-चिंतन किसकी विविधता नहीं है ? यही विविधता हमारी शान है, हमारी समृद्धि का कारण है |
धन और ज्ञान का भंडार – भारतवर्ष को ज्ञान के कारण ‘जगद्गुरु’ तथा धन-वैभव के कारण ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था | भारत में जितने खनिज भंडार हैं, उतने अन्य किसी देश में नहीं | हमारी इसी संपति को लुटने के लिए लुटेरे बार-बार भारत पर आक्रमण करते रहे | आज भी भारत की कोख रत्नों से खली नहीं हुई है |
ज्ञान के क्षेत्र में सारा विश्व भारत का ऋणी है | शून्य और गणना- पद्धति भारतवर्ष की दें है | इसी पर विज्ञान की सारी सभ्यता टिकी हुईं है | यहाँ के शिल्प, कला- कौशल, ज्योतिष- ज्ञान विश्व भर को आलोक देते रहें हैं |
सत्य, अध्यात्म और अहिंसा की धरती – भारत के लिए सबसे अधिक गौरव की बात यह है कि इस धरती ने विश्व को सत्य, अहिंसा धर्म और सर्वधर्मसमभाव का संदेश दिया | भारत में जैन, बोद्ध, हिन्दू जैसे विशाल धर्मो ने जनम लिया किंतु कभी दुसरे देश पर जबरदस्ती अधिकार करने का यत्न नहीं किया | यहाँ तक कि हमने आज़ादी की लड़ाई भी अहिंसा के अलौकिक अस्त्र से जीती | विशव की सभी समस्याओं पर विचार करने और उसका शंतितुर्ण हल धुंडने में भी भारत अग्रणी रहा है | आज भी अगर विशव-भर को शांति चाहिए तो उसे भारत की शरण में आना होगा |