Hindi, asked by aneetakoul, 1 year ago

मेरे राष्ट्रीय ध्वज पर अनुच्छेद

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Answered by Anonymous
139

Heya...

Here's your answer.....


भारत हमारा देश है और इसका राष्ट्रीय ध्वज़ हमारे लिये बहुत मायने रखता है। यहाँ पर रह रहे विभिन्न धर्मों के लोगों के लिये हमारा राष्ट्रीय ध्वज़ एकता के प्रतीक के रुप में है। हमें अपने देश के राष्ट्रीय ध्वज़ का सम्मान करना चाहिये। ये बहुत जरुरी है कि सभी आजाद देशों के पास उनका अपना राष्ट्रीय ध्वज़ हो। हमारा राष्ट्रीय ध्वज़ तीन रंगों का है इसलिये इसे तिरंगा भी कहते हैं। तिरंगे के सबसे ऊपर की पट्टी में केसरिया रंग, बीच की पट्टी में सफेद रंग और सबसे नीचे की पट्टी में हरा रंग होता है। तिरंगे के बीच की सफेद पट्टी में एक नीले रंग का अशोक चक्र होता है जिसमें एक समान दूरी पर 24 तीलियाँ होती है।


राष्ट्रीय ध्वज़ एक स्वतंत्र राष्ट्र के एक नागरिक होने की हमारी अलग पहचान है। हर स्वतंत्र राष्ट्र का अपना अलग राष्ट्रीय ध्वज़ होता है। हमारा राष्ट्रीय ध्वज़ एकता और आजादी का प्रतीक है। सरकारी अधिकारियों के द्वारा सभी राष्ट्रीय अवसरों पर राष्ट्रीय ध्वज़ को फहराया जाता है हालाँकि भारतीय नागरिकों को भी कुछ अवसरों पर राष्ट्रीय ध्वज़ को फहराने की अनुमति है। गणतंत्रता दिवस, स्वतंत्रता दिवस और कुछ दूसरे राष्ट्रीय कार्यक्रमों में सरकारी कार्यालयों, स्कूल और दूसरे शिक्षण संस्थानों में इसे फहराया जाता है।


22 जुलाई 1947 को पहली बार भारतीय राष्ट्रीय ध्वज़ को अंगीकृत किया गया था। हमारे राष्ट्रीय ध्वज़ को बहुत ही सुंदर तरीके से तीन रंगों में डिज़ाइन किया गया है, जिसे तिरंगा भी कहते हैं। ये खादी के कपड़े से हाथ से बना हुआ होता है। ख़ादी के अलावा तिरंगे को बनाने के लिये किसी दूसरे कपड़े का इस्तेमाल करने की सख्ती से मनाही है। तिरंगे के सबसे ऊपर केसरिया रंग होता है, दूसरी पट्टी में सफेद रंग होता है इसमें एक नीले रंग का चक्र भी होता है जिसमें एक सामन दूरी पर 24 तीलियाँ होती हैं तथा अंतिम पट्टी में हरा रंग होता है। केसरिया रंग समर्पण और नि:स्वार्थ भाव का प्रतीक है, सफेद रंग शांति, सच्चाई और शुद्धता को प्रदर्शित करता है जबकि हरा रंग युवा और ऊर्जा को दिखाता है।


Thanks...!!!

XD

Sorry baby 'wink'



aneetakoul: thanks
Answered by Anonymous
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Answer:

प्रत्येक राष्ट्र की नीति अन्य राष्ट्रों से पृथक् और विशिष्ट होती है । उसमें कई बातें ऐसी भी होती हैं, जो केवल उसी राष्ट्र की रीति-नीति में पाई जाती हैं । प्रत्येक राष्ट्र का प्रतीक, राष्ट्रध्वज अन्य सब राष्ट्रों से पृथक् और विशिष्ट होता है । किसी भी देश का राष्ट्रध्वज अपने पूरे देश का प्रतीक होता है ।

किसी राष्ट्रध्वज में राष्ट्र की धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परंपराओं तथा भावनाओं का समावेश होता है । यही कारण है कि कपड़े का यह टुकड़ा पूरा राष्ट्र बन जाता है । इसकी परंपरा की प्राचीनता ‘गरुड़ ध्वज, ‘कपि ध्वज’ आदि पौराणिक नामों से स्पष्ट हो जाती है ।

पुराणकाल के बाद गुप्त साम्राज्य की विजयिनी वैजयंती और सम्राट् अशोक के धर्म-विजय की पताका, वीर शिवाजी का भगवा ध्वज आदि इतिहास के पन्नों पर आज भी गर्व से फहरा रहे हैं । ब्रिटेन का यूनियन जैक का हँसिया-बालीवाला झंडा, पाकिस्तान का आधे चाँद एवं तारे का झंडा आदि अपने-अपने राष्ट्र के गौरव के प्रतीक हैं ।

जब कोई विजेता किसी देश को जीत लेता है तब वह अपने राष्ट्र का झंडा उस विजित देश के राजकीय भवनों पर लगा देता है । इससे लोगों की समझ में अपने आप आ जाता है कि फलाँ देश पर अमुक राष्ट्र अथवा व्यक्ति का आधिपत्य है । अपने देश के अथवा विदेश के किसी महापुरुष के निधन पर राष्ट्रध्वज झुका दिया जाता है, जिसका अभिप्राय शोक का प्रदर्शन होता है ।

ऐसे ही राष्ट्रीय पर्वों के अवसर पर राष्ट्रध्वज नए सिरे से सजाकर हर्षोल्लास के साथ फहराकर राष्ट्र के प्रति सम्मान प्रदर्शित किया जाता है । हाथीदाँत अथवा कीमती धातु पर बने राष्ट्रध्वज दूसरे देशों के महान् व्यक्तियों को भेंट करने की प्रथा भी प्रचलित है ।

तिरंगा हमारे देश का राष्ट्रध्वज है और उसके बीचोबीच चौबीस तीलियों वाला चक्र अंकित है । आजादी की लड़ाई के दौरान तिरंगे झंडे का जन्म हुआ था । आरंभ में लाल, हरा और सफेद-इन तीन रंगों का मिश्रण था और सफेद कपड़े पर चरखा अंकित था ।

चरखे का अभिप्राय स्वावलंबन से था । लाल, हरा, सफेद-ये तीन रंग भी हिंदू, मुसलिम और अन्य भारतवासियों की संस्कृति के प्रतीक थे । बाद में इसमें कुछ सुधार किया गया । लाल रंग की जगह केसरिया स्वीकार किया गया, चरखे की जगह चक्र अंकित किया गया ।

रंगों की व्याख्या पहले वर्ग के आधार पर की जाती थी, अब मानव के भौतिक गुणों से उसका संबंध जोड़ा जाता है । केसरिया को साहस और त्याग, सफेद को शांति और सच्चाई तथा हरे को श्रद्धा, प्रगति और विश्वास का प्रतीक माना जाता है ।

इन सबसे बढ्‌कर तिरंगे झंडे का महत्त्व भारतीयों में जागृति और स्फूर्ति का संचार करने में है । आज स्वतंत्र भारत में राष्ट्रीय पर्वों पर राष्ट्राध्यक्षों एवं अधिकारियों द्वारा तिरंगा झंडा फहराकर इसका सम्मान किया जाता है । देश के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह तिरंगे की शान बनाए रखे और इसे पूरा सम्मान दे ।

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