मेरे संग की औरतें पाठ का सारांश लिखें
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मेरे संग की औरतें” मृदुला गर्गजी का एक संस्मरण हैं। इस संस्मरण में लेखिका ने अपनी चार पीढ़ी की महिलाओं (परदादी , नानी , माँ और खुद लेखिका) के व्यक्तित्व , उनकी आदतों व उनके विचारों के बारे में विस्तार से बात की है।
अपने लेख की शुरुआत लेखिका कुछ इस तरह से करती हैं कि उनकी एक नानी थी जिन्हें उन्होंने कभी नहीं देखा क्योंकि नानी की मृत्यु मां की शादी से पहले हो गई थी। लेखिका कहती हैं कि इसीलिए उन्होंने कभी अपनी “नानी से कहानियां” तो नहीं सुनी मगर “नानी की कहानियां” पढ़ी जरूर और उन कहानियों का अर्थ उनकी समझ में तब आया , जब वो बड़ी हुई।
लेखिका अपनी नानी के बारे में बताते हुए कहती हैं कि उनकी नानी पारंपरिक , अनपढ़ और पर्दा करने वाली महिला थी।और उनके पति यानि नानाजी शादी के तुरंत बाद उन्हें (नानीजी) छोड़कर बैरिस्ट्री की पढाई करने कैंब्रिज विश्वविद्यालय चले गए थे और जब वो अपनी पढ़ाई पूरी कर घर वापस आए तो , उनका रहन-सहन , खानपान , बोलचाल बिल्कुल विलायती हो गया था।
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answer me dr priyo... cuttii