मेरे संग की औरतें संस्मरण पाठ का मूल प्रतिपाद्य का प्रमुख उद्देश्य क्या है?स्पष्ट कीजिए
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“मेरे संग की औरतें” पाठ ‘मृदुला गर्ग’ द्वारा लिखा हुआ एक संस्मरण है, जो लेखिका की वास्तविक जिंदगी से प्रेरित है।
इस पाठ में लेखिका ने अपने परिवार की औरतों के व्यक्तित्व और उनके स्वभाव की प्रकाश डाला है जिसमें लेखिका की नानी, दादी, परदादी, माँ और चार बहनें शामिल हैं। लेखिका पांच बहने और एक भाई थे।
‘मेरे संग की औरते’ पाठ में संयुक्त परिवार की महत्ता और और उसके सांस्कृतिक मूल्य उभर कर सामने आते हैं। लेखिका स्वयं एक संयुक्त और बड़े परिवार में पली-बढ़ी। लेखिका के परिवार का माहौल भी प्रगतिशील था और सबको अपने ढंग से जीने का आजादी थी। किसी के निजी जीवन में कोई हस्तक्षेप नही था। इस पाठ में महिलाओं का महत्व तथा पुरुषों के समान अधिकार वाले मूल्य उभरकर सामने आते हैं।
इस पाठ में लेखिका की परदादी प्रगतिशील विचारों की प्रतीत होती हैं। उस दौर में जब पुरुष सत्ता प्रधान इस समाज में हमेशा पुत्र की कामना की जाती है। तब लेखिका की परदादी ने अपनी पतोहू (पोते की पत्नी) के लिये पुत्री की कामना की। उनकी इस बात ने महिला को पुरुष के समान महत्व देने की पहल की शुरुआत की। उनका ये कदम उस दौर में एक साहसिक कदम था। इससे उनकी निडरता और प्रगतिशीलता प्रकट होती है। उनका जीवन भी अत्यन्त सादगी भरा था। उन्होंने व्रत ले रखा था कि अपने पास दो धोती से अधिक नही रखेंगी। अगर तीसरी धोती हुई तो वो उसे दान कर देंगी।
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लेखिका का बहनें हीन भावना का शिकार क्यों थीं?
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रेनू कौन थी? उनके चरित्र की प्रमुख विशेषताएं मेरे संग की औरतें पाठ के आधार पर बताए।
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Explanation:
लेखिका की परदादी को पौत्र की नहीं पौत्री की इच्छा थी। उन्होंने भगवान से यह दुआ माँगी कि उनकी पतोह की पहली संतान लड़की पैदा हो न कि लड़का। समाज सदा से ही लड़कों की कामना करता रहा है, पर लेखिका की परदादी ने वह दुआ माँगी जिसे समाज बोझ समझता था। उनकी मन्नत के बारे में जानकर सभी हैरान रह गए क्योंकि उन्होंने यह बात सभी को बात दी थी।