मेरे स्कूल का पुस्तकालय अनुच्छेद
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[⭐मेरे विद्यालय का पुस्तकालय पर निबंध / Essay on My School Library in Hindi⭐
!पुस्तकालय शब्द पुस्तक ओर आलय से मिलकर बना है इसका अर्थ है – पुस्तकों का घर । चूंकि पुस्तकों से हमें ज्ञान प्राप्त होता है इसलिए पुस्तकालय को ‘ ज्ञान का सागर ‘ कहा जा सकता है । जिस प्रकार सागर में छोटी-घड़ी सभी नदियों का जल समाहित होता है उसी प्रकार पुस्तकालय में विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सभी प्रकार की पुस्तकें संग्रहित होती हैं ।मेरे विद्यालय में भी एक मध्यम कोटि का पुस्तकालय है । यहाँ प्राचीन एवं नवीन पुस्तकों का अच्छा संग्रह है । यहाँ साहित्य और भाषा, विज्ञान, संस्कृति, इतिहास, भूगोल, समाजशास्त्र, सामान्य ज्ञान आदि विभिन्न विषयों से संबंधित पुस्तकें एकत्रित हैं । प्रेमचंद, सुभद्राकुमारी चौहान, रामधारी सिंह दिनकर, जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, शेक्सपीअर, वर्ड्सवर्,तुलसीदास जेसे ख्यातिप्राप्त साहित्यकारों की पुस्तकें यहाँ सुलभ हैं । चित्रकला,पाककला, वागवानी आदि विभिन्न विषयों से संबंधित पुस्तकें भी यहाँ अच्छी संख्या में हैं ।विद्यालय के सभी विद्यार्थी पुस्तकालय के सदस्य होते हैं । वे यहाँ से मनपसंद पुस्तकें पड़ने के लिए घर लै जा सकते हैं । कोई छात्र जब पुस्तकालय के अध्यक्ष से पुस्तकें माँगता है तो उपलब्ध होने पर वे तुरंत दे देते हैं । पुस्तकें देते समय छात्र के कार्ड तथा पुस्तकालय की बही पर पुस्तक का नाम एवं तारीख लिखी जाती है । यह भी दर्ज होता है कि पुस्तक कितने दिन के लिए दी जा रही है । यदि कोई छात्र निर्धारित समय पर पुस्तकें नहीं लौटाता है या कटी-फटी हालत में लौटाता है तो उस छात्र पर जुर्माना लगाया जाता है । कुछ छात्र पुस्तकों को सही दशा में नहीं रखते या उस पर कलम-पेसिल से जगह-जगह निशान लगा देते हैं । यह अच्छी बात नहीं है