मेरा स्वाप्नो का भारत
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भूमिका- हमारे देश का नाम भारत है। दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत के नाम पर इसका यह नाम पड़ा। इसका प्राचीन नाम आर्यावर्त भी है। मुस्लिम शासकों ने इसे हिंद, हिंदुस्तान या हिंदोस्तान का नाम दिया। अंग्रेज़ी ने इसे ‘इंडिया’ के नाम से प्रख्यात किया। स्वतंत्रता के बाद संविधान द्वारा यह देश ‘भारत’ के नाम से दुनिया के मानचित्र पर चमकने लगा। यह देश हमारी मातृभूमि है। हमारा रोम-रोम इसके प्रति कृतज्ञ है।
विशाल देश- हमारा देश भारत एक विशाल है। जनसंख्या की दृष्टि से यह संसार भर में दूसरे स्थान पर है। इसकी जनसंख्या 130 करोड़ से भी ऊपर है। विभिन्न जातियों के लोग यहाँ बड़े प्यार से रहते हैं।
स्थिति- भारत के उत्तर में हिमालय है जो इसका सजग प्रहरी है। पूर्व में आसाम और बंगाल है। दक्षिण में श्रीलंका और हिंद महासागर है जो भारत-माता का चरण पखार रहा है। पश्चिम में पंजाब है। इस भू-खंड में अनेक पर्वत, नदियाँ, मैदान और मरुस्थल हैं। स्थान-स्थान पर हरे-भरे वन इसकी शोभा हैं।
कृषि प्रधान- भारत कृषि-प्रधान देश है। यह गाँवों में बसा है। इसकी 75% जनता गाँवों में निवास करती है। जो कृषि पर निर्भर करती है। यहां गेहूं, मक्का, बाजरा, ज्वार, चना, धान, गन्ना आदि की फसलें होती हैं। अन्न की दृष्टि से हम अभी पूर्ण स्वावलंबी नहीं हैं, पर हमारे कदम इस ओर बड़ी तेजी से बढ़ रहे हैं।
औद्योगिक विकास- आजादी के बाद से देश में अनेक प्रकार के कल-कारखाने उभर रहे हैं। उद्योग-धंधों का जाल बिछ रहा है। अनेक औद्योगिक बस्तियाँ बस रही हैं। वस्त्रोद्योग उन्नति की चरम सीमा की ओर बढ़ रहा है। सिलाई मशीनें, साइकिल, पंखे, रेडियो, खेलों के सामान दूसरे देशों को निर्यात किये जाते हैं।
बहुमुखी परियोजनाएं- भारत अनेक बहुमुखी परियोजनाओं ( स्वच्छ भारत अभियान, जान धन योजना , डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया ) के अधीन उन्नति की ओर अग्रसर है। नदी-घाटी, पनबिजली आदि परियोजनाओं के कारण देश का रूप निखर रहा है। इनके कारण अनेक छोटे-बड़े उद्योग विकसित हो रहे हैं। नहरों का जाल बिछ जाने से कृषि उत्पादन बढ़ रहा है। गाँव-गाँव में बिजली पहुंचाई जा रही है। आदर्श गाँव बनाए जा रहे हैं। रेल, सड़क तथा पुलों के कारण देश के पिछड़े क्षेत्र शहरों से जुड़ रहे हैं।
दर्शनीय स्थल– भारत हमारी पवित्र एवं पुण्य भूमि है। यहाँ अनेक तीर्थ हैं। सुंदर आकर्षक दर्शनीय स्थल हैं। हरिद्वार, काशी, कुरुक्षेत्र, मथुरा, द्वारिका, प्रयाग, अजमेर आदि तीर्थ-स्थल श्रद्धालुओं के श्रद्धा केंद्र हैं। ताजमहल, लाल किला, सारनाथ, शिमला, मसूरी, श्रीनगर आदि स्थल यात्रियों का मन मुग्ध कर देते हैं। गंगा, यमुना, सरस्वती, कृष्णा, कावेरी आदि नदियाँ भारत की धरती को पावन बनाती हैं।
महापुरुषों की धरती- यह देश महापुरुषों की कर्म-स्थली है। श्री राम, श्री कृष्ण, बुद्ध जी, महावीर जी, गुरु नानक देव जी आदि संत-महात्मा इसी देश में हुए हैं। प्रताप, शिवाजी और गुरु गोबिंद सिंह जी जैसे शूर-वीर इसी देश की शोभा थे। दयानंद, विवेकानंद, रामतीर्थ, तिलक, गांधी, सुभाष, चंद्रशेखर, भगत सिंह इस धरती के श्रृंगार थे। वाल्मीकि जी, व्यास, कालिदास, तुलसीदास, सूरदास, कबीर आदि की वाणी यहीं गूंजती रही। भारत ने ही वेदों के ज्ञान से दुनिया को मानवता की राह दिखाई।
उपसंहार- सदियों की गुलामी के बाद अब भारत प्रभुत्व-संपन्न देश बन गया है। अब वह दिन दूर नहीं जब दुनिया में भारत और भारतीय संस्कृति का नाम उजागर होगा। यह देश शांति का संदेशवाहक बनकर विश्व के राजनीतिक क्षितिज पर चमकने लगेगा। हम सब भारतीयों का कर्तव्य है कि कंधे-से-कंधा मिलाकर तन, मन और धन से इसकी उन्नति में जुट जाएं।
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