मेरा सबसे प्रिय मित्र निबंध
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मेरे अधिक मित्र नहीं है लेकिन जो भी हैं वह अच्छे मित्र हैं लेकिन मेरा सबसे अच्छा मित्र अनिल है। अनिल स्वभाव का थोड़ा चंचल है लेकिन उतना ही होशियार और ईमानदार भी है। हम दोनों एक ही विद्यालय में पढ़ते हैं इसलिए एक दिन उसने मेरी मुसीबत में मदद की थी उसके बाद से हम गहरे मित्र बन गए।
अनिल की सोच बहुत अच्छी है वह सभी के बारे में अच्छा ही सोचता है। वह कभी झूठ नहीं बोलता और हमेशा सत्य का साथ देता है उसे झूठ से सख्त नफरत है। वह अपने दादाजी से शिक्षाप्रद कहानियां सुनकर मुझे सुनाता है जिनसे मुझे भी शिक्षा मिलती है।
वह सभी बड़े लोगों और गुरुजनों का हमेशा आदर करता है और उनसे विनम्रता से बात करता है। अनिल के पिताजी एक वकील है और अनिल भी बड़ा होकर वकील ही बनना चाहता है। उनकी माता जी गृहणी है जब भी मैं उनके घर पर जाता हूं तो वह मुझे बहुत स्नेह देती है।
अनिल की एक छोटी बहन है वह कक्षा 3 में पढ़ती है। वह मेरी बहन जैसी ही है और मैं उसे बहुत प्यार करता हूं। वह मुझे हर रक्षाबंधन पर राखी भी बांधती है।
मेरा प्रिय मित्र अनिल बहुत सहनशील है वह हर मुसीबत का डटकर सामना करता है। मैं हमेशा बड़ों की आज्ञा का पालन करता है। वह विद्यालय में हर बार कक्षा में प्रथम आता है वह पढ़ाई में होशियार होने के साथ-साथ उसकी रूचि खेलने में भी बहुत है।
वह बैडमिंटन खेल सबसे अच्छा खेलता है और हर बार विद्यालय की तरफ से खेलने जाता है और गोल्ड मेडल जीतकर लाता है। उसे विद्यालय में सभी विद्यार्थी पसंद करते है और हमारे गुरुजन भी उसकी प्रतिभा का लोहा मानते है।
हमारा अगर कभी झगड़ा होता है तो वह हमेशा मुझे माफ कर देता है हम रोज सुबह जल्दी उठ करें टहलने जाते हैं जिससे हमारा स्वास्थ्य सही रहता है और शरीर में चुस्ती स्फूर्ति बनी रहती है। अनिल विनम्र और सरल स्वभाव का है।
अनिल हमेशा दूसरों की मदद करता है एक दिन उसने एक बूढ़े व्यक्ति को सड़क पार कराई। वह हमेशा दूसरों की खुशियों के बारे में सोचता है। वह हमेशा सकारात्मक बातें ही करता है।
मैं जब भी मेरे घर आता है तो सभी को हंसा हंसा कर लोटपोट कर देता है उसके आते ही सबके वह पर अपने आप ही मुस्कान आ जाती है। वह इतना गुणी है फिर भी किसी बात का घमंड नहीं करता है।
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Explanation:
मेरा प्रिय मित्र
मेरा प्रिय मित्र का नाम मोनिशा है। वह मेरे साथ मेरे विद्यालय में पढ़ता है। मेरे कई मित्र हैं जो बचपन से मेरे साथ स्कूल में पढ़ते हैं, लेकिन उन सबसे मेरी मित्रता इतनी गहरी नहीं हो पाई जितनी की रवि से 3 वर्षों में हो गई है। इन तीन सालों में ऐसी कई घटनाएं घटित हुई जिनसे मुझे ये एहसास हुआ कि रवि ही मेरा सच्चा मित्र है। मैं अपने आप को भाग्यशाली समझता हूं कि मुझे इतना अच्छा मित्र मिला। उसमें वो सभी खूबियां हैं जो एक अच्छे मित्र में होनी चाहिए। हम दोनों एक दूसरे का हर अच्छी बुरी परिस्थितियों में साथ निभाते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारी मित्रता आजीवन ऐसी ही रहेगी। वो जब भी कोई नई कहानी या कविता लिखता है तो सबसे पहले मुझे सुनाता है। उसने हमारे दोस्ती पर भी कई कविताएं लिखी हैं, जो मुझे सबसे ज्यादा पसंद हैं। वो बहुत ही अच्छा इंसान है और सभी की सहायता करता है। हमारे स्कूल में जब भी स्काउटिंग के टास्क दिए जाते हैं, या फिर समाज सेवा के कार्य करने के लिए कहा जाता है तो वही सबसे आगे होता है। वो सत्यवादी है और जितना मुझे पता है मैंने उसे कभी झूठ बोलते हुए नहीं देखा। चाहे किसी को कटु ही क्यों ना लगे पर वो खुद अच्छा बनने के लिए झूठ का सहारा नहीं लेता है। एक सच्चे मित्र की यही तो पहचान होती है कि वो आपको सच का रास्ता दिखाता है। जब भी मुझे किसी बात में उलझन होती है तो मैं उसे ही बताता हूं और वो मुझे सही सलाह देता है। उसकी कई खूबियां हैं जो मुझे समय के साथ धीरे धीरे पता चलती गई और हमारी मित्रता भी प्रगाढ़ होती चली गई।मैं चाहता हूं कि सभी को ऐसा सच्चा मित्र मिले। हमें मित्र की परख करना आना चाहिए और अगर कभी अच्छा मित्र मिले तो उसका साथ नहीं छोड़ना चाहिए तथा उसकी कद्र करनी चाहिए, क्योंकि अच्छे मित्र का होना जीवन में बहुत आवश्यक है ताकि आपको भावात्मक संबल मिले और आप सही राह पर चलें।
किसी कवि ने सही कहा है –
कुछ रिश्ते होते हैं बहुत अनमोल
जिनका नहीं होता है कोई तोल मोल
उन्ही में से एक रिश्ता है मित्रता
जिसे पाने तरसती है हर हस्ती