मेरेसगं क
औरत
पाठ के आधार पर बताइए
क कैसेइंसान
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धा भाव सेदेखा जाता है?
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Answers
Answer:
मैया मैं नहीं नहीं खायो कौन जिसने क्या कह रहा है स्पष्ट कीजिए
शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं। मेरी समझ में इसके निम्नलिखित कारण हैं-
शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं। मेरी समझ में इसके निम्नलिखित कारण हैं-माटी वाली नाटे कद की बुढ़िया थी जो कंटर में माटी लाया करती थी।
शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं। मेरी समझ में इसके निम्नलिखित कारण हैं-माटी वाली नाटे कद की बुढ़िया थी जो कंटर में माटी लाया करती थी।माटी वाली यह कार्य करने वाली अकेली महिला थी जो घर-घर लाल माटी दिया करती थी।
शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं। मेरी समझ में इसके निम्नलिखित कारण हैं-माटी वाली नाटे कद की बुढ़िया थी जो कंटर में माटी लाया करती थी।माटी वाली यह कार्य करने वाली अकेली महिला थी जो घर-घर लाल माटी दिया करती थी।टिहरी शहर की रेतीली मिट्टी से लिपाई नहीं की जा सकती थी। इसलिए उसकी मिट्टी की ज़रूरत हर घर को थी।
शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं। मेरी समझ में इसके निम्नलिखित कारण हैं-माटी वाली नाटे कद की बुढ़िया थी जो कंटर में माटी लाया करती थी।माटी वाली यह कार्य करने वाली अकेली महिला थी जो घर-घर लाल माटी दिया करती थी।टिहरी शहर की रेतीली मिट्टी से लिपाई नहीं की जा सकती थी। इसलिए उसकी मिट्टी की ज़रूरत हर घर को थी।वह टिहरी शहर में वर्षों से मिट्टी दे रही थी।
शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं। मेरी समझ में इसके निम्नलिखित कारण हैं-माटी वाली नाटे कद की बुढ़िया थी जो कंटर में माटी लाया करती थी।माटी वाली यह कार्य करने वाली अकेली महिला थी जो घर-घर लाल माटी दिया करती थी।टिहरी शहर की रेतीली मिट्टी से लिपाई नहीं की जा सकती थी। इसलिए उसकी मिट्टी की ज़रूरत हर घर को थी।वह टिहरी शहर में वर्षों से मिट्टी दे रही थी।शहर में रहने वाले यहाँ तक किराएदार भी उसी से मिट्टी लेते थे।
शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं। मेरी समझ में इसके निम्नलिखित कारण हैं-माटी वाली नाटे कद की बुढ़िया थी जो कंटर में माटी लाया करती थी।माटी वाली यह कार्य करने वाली अकेली महिला थी जो घर-घर लाल माटी दिया करती थी।टिहरी शहर की रेतीली मिट्टी से लिपाई नहीं की जा सकती थी। इसलिए उसकी मिट्टी की ज़रूरत हर घर को थी।वह टिहरी शहर में वर्षों से मिट्टी दे रही थी।शहर में रहने वाले यहाँ तक किराएदार भी उसी से मिट्टी लेते थे।उसका कंटर, जिसमें ढक्कन नहीं होता था, अपनी विशेष पहचान रखता था।