मेरे सहयात्री यात्रा वृतांत का सारांश लिखिए
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"मेरे सहयात्री " वृतांत लेखक अमृतलाल वेंगड़ ने लिखा है।
- लेखक को लगता था कि उनका जन्म नर्मदा की यात्रा के लिए हुआ है यदि वे नर्मदा की यात्रा न करते तो उनका जीवन व्यर्थ हो जाता।
- वेंगड जी ने अपने जीवन के नब्बे वर्ष तक नर्मदा के हर कण को सहेजने, समझने व संवारने की उत्सुकता में युवा रहे।
- उन्होंने अपनी नर्मदा यात्रा के सम्पूर्ण वृतांत को तीन पुस्तकों में लिखा। पहली पुस्तक " सौंदर्य की नदी नर्मदा " 1992, में लिखी।
- उन्होंने अपनी पहली यात्रा 1977 में शुरू की थी जब वे 50 साल के थे व अंतिम यात्रा 1987 ने कि जब वे 82 वर्ष के थे।
- उन्होंने ये यात्राएं पैदल की थी।
वेंगड जी की लिखी पुस्तकों का वर्णन
-उनकी लिखी पुस्तकों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें उन्होंने केवल जल धारा की बात नहीं की परंतु उसके साथ जीते हुए जीव, वनस्पतियां, खेत, पक्षी, इंसान सभी को सम्मिलित किया है।
- उन्होंने यह बताया है कि नदी केवल जल संसाधन नहीं जबकि मानव के जीवन से मृत्यु तक का मूल आधार है।
- वे कहते है कि नर्मदा की जल धारा में बहती मछली भी महत्वपूर्ण है, रेत भी महत्वपूर्ण है।
- वे अध्याय 13 में लिखते है कि नदी तट के छोटे छोटे तृण न जाने कितने ऋषियों मुनियों व साधु - संतों की पावन धूल से धुले होंगे।
- यहां स्थित वनों में अनेक संतो ने धर्मो पर विचार किया होगा, उन्होंने संस्कृति की खोज की होगी परन्तु अब हमने उन संस्कृति रूपी वृक्षों की जड़ों को ही काट डाला है। वनों, पेड़ पौधों को काटकर पशु पक्षियों को बेघर कर दिया है, इस प्रकार हमने प्रकृति के साथ विश्वासघात किया है।