िमारे िेश में धमों-सांप्रिायों के अनेक उपासना-गिृ, मांदिर, मजजिि, गगरिाघर और गुरुद्वारे िैं। सभी शाांति चाििे िैं, पर शाांति का िशशन कि ां िोिा नि ां। िर िगि कोई-न-कोई आांिोलन तिड़ा िै। पत्थर, सीमेंट, गारे-चूने से बने इन भव्य, पववि जथानों से मनुष्य की नैतिकिा को कोई बल क्यों नि ां लमलिा? िरूरि इस बाि की िै कक इन धालमशक जथानों से नैतिकिा और शाांति का सांिेश प्रसाररि िो। इन जथानों में परांपरागि पुिाररयों की िगि गण्यमान्य ववद्वान िों, िो िमारे मन को शाांति िें और उसमें एक ववशेष आजथा का सांचार करें। िमें आि धालमशक क्षेि में आवश्यकिा िै वैचाररक क्ाांति की, सत्सादित्य की एवां चररि तनमाशण की।
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Good eclpaniation and of tha is you
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