मेरे तो गिरिधर गोपाल दुसरो न कोई | जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई || इन पंक्तियों में कौन -सा रस है ?
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दूसरे पद में प्रेम रस में डूबी हुई मीरा सभी रीति-रिवाजों और बंधनों से मुक्त होने और गिरिधर के स्नेह के कारण अमर होने की बात कर रही हैं।
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