मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई
जाके सिर मोर मुकट, मेरो पति सोई
छोड़ि दई कुल की कानि, कहा करिहै कोई ?
संतन ढिग बैठि-बैठि, लोक लाज खोई।
अँसुवन जल सींचि-सींचि प्रेम बेलि बोई गाभा
अब तो बेल फैल गई आणंद फल होई ।।
दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से बिलोई
माखन जब काढ़ि लियो छाछ पिये कोई ।।
भगत देखि राजी हुई जगत देखि रोई।
दासी 'मीरा' लाल गिरिधर तारो अब मोही।।
प्रशन: समजकर लिखिए : १)मीरा रोती हैं-____ २) मीरा ने इन्हें मथा है-_____
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मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई जाके सिर कोई बैठी बैठी दासी मीरा लाल गिरधर ताऊ अब मोहित तक है और मेरा रोती है यह बात सही है और वह अपने लाल को झूला झूला रही है तथा मीरा ने उन्हें माथा है मतलब कि उन्हें अपने लाल को गले से लगाया है और प्यार का संदेश भी दिया है
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