"मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो ना कोई
जा के सिर मोर मुकुट, मेरो पति सोई
छोड़ि दयी कुल की कानि, कहा करि हुँ कोई?
संतन ढिग बैठि-बैठि, लोक-लाज खोयी
अंसुवन जल सींचि-सींचि, प्रेमि बेलि बोयी।
(क) काव्यांश की भाषा की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए
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मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो ना कोई
जा के सिर मोर मुकुट, मेरो पति सोई
छोड़ि दयी कुल की कानि, कहा करि हुँ कोई?
संतन ढिग बैठि-बैठि, लोक-लाज खोयी
अंसुवन जल सींचि-सींचि, प्रेमि बेलि बोयी।
(क) काव्यांश की भाषा की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए
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