मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई
जाके सिर मोर मुकट, मेरो पति सोई
छाँड़ि दई कुल की कानि, कहा करिहै कोई?
संतन ढिग बैठि-बैठि, लोक लाज खोई।
अँसुवन जल सीचि-सींचि प्रेम बेलि बोई। सरल भावार्थ
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जा के सिर मोर-मुकट, मेरो पति सोई छांड़ि दयी कुल की कानि, कहा करिहै कोई? संतन ढिग बैठि-बैठि, लोक-लाज खोयी ... मीराबाई ने श्रीकृष्ण को अपना पति मानकर उनकी भक्ति की है।
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरों न कोई। जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई। ' इस काव्य पंक्ति में 'शृंगार रस' है। अत: इसका सही उत्तर विकल्प 2 'श्रृंगार रस' है।
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