मूर्तिकार को समय की परख है। उसने हाथ में आए अवसर और हुक्कामों की विवशता का खूब लाभ उठाया है। वह किसी प्रक
भी इस अवसर को हाथ से निकलने नहीं देता है, कैसे? 'जॉर्ज पंचम की नाक' पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
Answers
murtikar ko Samay ki prakriya usne Hath Mein Aur Unki visheshta Kaku uthaya bhi is avsar ko Hath se nikalne Nahin deta kya ok use pata hai agar Agar Mere Hath se koi Samay nikal Jaaye to vah Wapas Nahin Aata ISI Prakar Hamen Apna Kam Samay par karna chahie
Explanation:
मूर्तिकार चतुर वाद कटु और अपने लाभ के लिए दुष साहसिक कार्य करने से भी नहीं चूकता वहां पैसे के लिए हाथ आए मौके को खोना नहीं चाहता था। चालाक इतना है कि सरकारी पैसे का दुरुपयोग करते हुए पत्थर ढूंढने के बहाने पूरे भारत का भ्रमण कर आता है।उसे सरकारी तंत्र की परख थी, वह उनकी दुखती रग को पकड़ चुका थी इसलिए उन्हें बेवकूफ बनाने में भी नहीं चूकता।जिंदा नाटक लगवाने की इजाजत लेकर वह सरकारी तंत्र की गुलाम मानसिकता को समाज के सामने लाने में सफल हो जाता है।चालाक व लालची सभी अवगुणों के होने के बावजूद भी उस में कहीं ना कहीं अपने देश के स्वतंत्रता सेनानीयो के लिए सम्मान का भाव था। इसीलिए वह जॉर्ज पंचम की नाक को इन सेनानियों की नाक से छोटा बताता है इस प्रकार मूर्तिकार केवल चालाक ही नहीं एक सुयोग व्यक्ति भी है ।