Hindi, asked by AbhishekhYadav, 9 months ago

मूर्ति karne नगर पालिका ke adhikari ko क्या ashvasan दिया path नेताजी का चश्मा ke आधार प्रति bataen

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Answered by shubhamanand15112005
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Answer:

नेताजी का चश्मा कहानी में लेखक स्वयं प्रकाश जी बताते हैं कि एक कस्बे के मुख्य चौराहे पर नेताजी की एक संगमरमर की मूर्ति लगी हुई थी। परन्तु उस पर संगमरमर का चश्मा नहीं था। हालदार साहब किसी काम से हर पन्द्रहवें दिन उस कस्बे से गुजरते थे। वे देखते थे कि हर बार नेताजी की आँखों पर एक नया चश्मा लगा होता था।

एक बार उन्होंने पान वाले से इसके बारे में पूछा तो उसने उन्हें बताया कि वहां कैप्टन नाम का एक बूढ़ा, लंगड़ा आदमी है। वही नेताजी की मूर्ति को बदल बदल कर चश्मा पहनाता रहता है।

इस प्रकार काफी समय बीत गया, एक बार जब वे गए तो उन्होंने देखा कि नेताजी की मूर्ति पर चश्मा नहीं था। लोगों से पूछने पर उन्हें पता चला कि कैप्टन की मृत्यु हो गयी थी। अगली बार जब वे वहां गए तो उन्होंने देखा कि उनके चेहरे पर एक सरकंडे से बना चश्मा लगा हुआ था। यह देखकर उन्हें बहुत दुःख हुआ।

इस कहानी के माध्यम से लेखक ने यह बताया है कि सब नागरिकों में देश भक्ति की भावना होनी चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति चाहें वह छोटा हो या बड़ा, अपने देश और समाज के लिए कुछ न कुछ कर सकता है। कैप्टन एक साधारण और सामान्य आदमी था। परन्तु उसमें भी अपने देश के प्रति प्रेम था। वह अपनी योग्यता और सामर्थ्य के अनुसार अपनी इस देश भक्ति को व्यक्त|

Answered by Anonymous
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Answer:

इसके बारे में कहानी में कोई भी बात नहीं बताई गई है। हम कुछ अनुमान लगा सकते हैं। हो सकता है कि चश्मेवाला कभी सेना में काम करता रहा होगा। हो सकता है कि वह आजाद हिंद फौज का हिस्सा रहा होगा।

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