Social Sciences, asked by Taris1685, 1 year ago

मार्टिन लूथर किंग जूनियर के 1963 के प्रसिद्ध भाषण के निम्नलिखित अंश को पढ़े l वे किस सामाजिक विभाजन की बात कर रहे हैं? उनकी उम्मीदें और आशंकाएँ क्या-क्या थी? क्या आप उनके बयान और मैक्सिको ओलंपिक की उस घटना में कोई संबंध देखते हैं। जिसका जिक्र इस अध्याय में था? " मेरा एक सपना है कि मेरे चार नन्हें बच्चे एक दिन ऐसे मुल्क में रहेंगे जहाँ उन्हें चमड़ी के रंग के आधार पर नहीं, बल्कि उनके चरित्र के असल गुणों के आधार पर परखा जाएगा। स्वतंत्रता को उसके असली रूप में आने दीजिए। स्वतंत्रता तभी कैद से बाहर आ पाएगी जब यह हर बस्ती, हर गाँव तक पहुँचेगी, हर राज्य और हर शहर में होगी और हम उस दिन को ला पाएँगे जब ईश्वर की सारी संताने-अश्वेत स्त्री-पुरुष, गोरे लोग, यहूदी तथा गैर-यहूदी, प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक-हाथ में हाथ डालेंगी और इस पुरानी नीग्रो प्रार्थना को गाएँगी - 'मिली आज़ादी, मिली आज़ादी! प्रभु बलिहारी, मिली आज़ादी!' मेरा एक सपना है कि एक दिन यह देश उठ खड़ा होगा और अपने वास्तविक स्वभाव के अनुरूप कहेगा, "हम इस स्पष्ट सत्य को मानते हैं कि सभी लोग समान हैं।"

Answers

Answered by nikitasingh79
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उत्तर :

मार्टिन लूथर किंग जूनियर एक प्रसिद्ध मानवतावादी थे जो अमेरिका के सभी लोगों के समान अधिकारों के लिए लड़े । उन्होंने अमेरिका में एक आंदोलन शुरू किया जिसका नाम अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन था। यह आंदोलन जातीय भेदभाव खत्म करने , मत देने के अधिकार की मांग और मजदूर नागरिक अधिकारों को लेकर शुरू किया गया था । इसलिए उनके प्रयासों के कारण यह मांगे मान ली गई तथा अमेरिका इनसे संबंधित कुछ  कानून पास किया गए।

असल में अश्वेत लोग अफ्रीकी देशों से अमेरिका को गुलामों के तौर पर भेजे गए थे तथा अमेरिका में इन लोगों के साथ काफी भेदभाव किया जाता था। गोरे लोग उनका कई प्रकार से शोषण करते थे। इसलिए ही मार्टिन लूथर किंग ऐसा समाज देखना चाहते थे जहां पर जातीय भेदभाव न हो । वह यह देखना चाहते थे कि प्रत्येक व्यक्ति के साथ समान व्यवहार किया जाए चाहे वह एक धर्म , जाति, नस्ल से संबंध रखता है अथवा दूसरी । वह सोचते थे कि ऐसा संसार होना चाहिए जिसमें सभी व्यक्तियों को उन्नति करने के समान अवसर प्रदान किए जाएं तथा प्रत्येक व्यक्ति के सामाजिक तथा आर्थिक हितों का सम्मान किया जाए।

संसार में नस्ली भेदभाव के कारण अमेरिका के 2 खिलाड़ियों टॉमी स्मिथ तथा जॉन कालो्स ,जिन्होंने 1968 के मेक्सिको ओलंपिक में स्वर्ण तथा तांबे का पदक जीता था, ने अपनी आवाज उठाई । पदक वितरण समारोह में वह अपनी मुट्ठियों को भींजे तथा सर नीचे किए हुए खड़े थे जब अमेरिका का राष्ट्रीय गान चल रहा था । उन्होंने काली मोजे तो पहने परंतु कोई जूते नहीं पहने ताकि अश्वेत शक्ति का  प्रतिनिधित्व किया जा सके तथा उन्होंने इस प्रकार हो अपने पद ग्रहण किए। उनके काले दस्ताने तथा भींजे हुए हाथ अश्वेत शक्ति को दर्शा रहे थे। यह दोनों घटनाएं एक दूसरे से गहरे रूप से अंतर्सबंधित है क्योंकि दोनों ही घटनाओं ने लोगों का ध्यान खींचने का प्रयास किया दोनों नहीं लोगों का ध्यान नस्ली भेदभाव तथा महाद्वीपीय गुलामों के व्यापार के तरफ खींचने का प्रयास किया है। दोनों ने ही लोगों का ध्यान अमेरिका में अश्वेतों की निर्धन आर्थिक स्थिति की तरफ आकर्षित करने का प्रयास किया है। इसलिए ही किंग लूथर के भाषण तथा 1968 के मेक्सिको ओलंपिक की घटना में काफी गहरा रिश्ता है।

आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।

Answered by Anonymous
2

मार्टिन लूथर किंग जूनियर के 1963 के प्रसिद्ध भाषण के निम्नलिखित अंश को पढ़े l वे किस सामाजिक विभाजन की बात कर रहे हैं? उनकी उम्मीदें और आशंकाएँ क्या-क्या थी? क्या आप उनके बयान और मैक्सिको ओलंपिक की उस घटना में कोई संबंध देखते हैं। जिसका जिक्र इस अध्याय में था? " मेरा एक सपना है कि मेरे चार नन्हें बच्चे एक दिन ऐसे मुल्क में रहेंगे जहाँ उन्हें चमड़ी के रंग के आधार पर नहीं, बल्कि उनके चरित्र के असल गुणों के आधार पर परखा जाएगा। स्वतंत्रता को उसके असली रूप में आने दीजिए। स्वतंत्रता तभी कैद से बाहर आ पाएगी जब यह हर बस्ती, हर गाँव तक पहुँचेगी, हर राज्य और हर शहर में होगी और हम उस दिन को ला पाएँगे जब ईश्वर की सारी संताने-अश्वेत स्त्री-पुरुष, गोरे लोग, यहूदी तथा गैर-यहूदी, प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक-हाथ में हाथ डालेंगी और इस पुरानी नीग्रो प्रार्थना को गाएँगी - 'मिली आज़ादी, मिली आज़ादी! प्रभु बलिहारी, मिली आज़ादी!' मेरा एक सपना है कि एक दिन यह देश उठ खड़ा होगा और अपने वास्तविक स्वभाव के अनुरूप कहेगा, "हम इस स्पष्ट सत्य को मानते हैं कि सभी लोग समान हैं।"

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