मूर्त से अमूर्त की ओर इस कथन को स्पष्ट कीजिए
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जैसे-जैसे मूर्त वस्तुओं और पदार्थों से प्राप्त अमूर्त विचार व्यापक होते जाते हैं, वैसे-वैसे उनमें शामिल अवधारणाओं का भी विस्तार होता जाता है। ... 1) मूर्त वस्तुओं को गिनने से हमें प्राकृत संख्याओं का समुच्चय प्राप्त होता है। 2) अगर इस समुच्चय में हम शून्य को शामिल करें तो हमें पूर्ण संख्याओं का समुच्चय प्राप्त होता है।
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जैसे-जैसे मूर्त वस्तुओं और पदार्थों से प्राप्त अमूर्त विचार व्यापक होते जाते हैं, वैसे-वैसे उनमें शामिल अवधारणाओं का भी विस्तार होता जाता है। ... 1) मूर्त वस्तुओं को गिनने से हमें प्राकृत संख्याओं का समुच्चय प्राप्त होता है। 2) अगर इस समुच्चय में हम शून्य को शामिल करें तो हमें पूर्ण संख्याओं का समुच्चय प्राप्त होता है।
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