मेरी दिल्ली हरी भरी पर निबंध 6 कक्षा के लिए
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दिल्ली को हरा-भरा बनाए रखने के कार्य से जुड़े विभिन्न निकायों व विभागों ने अगस्त माह तक 3.32 लाख पौधे लगाए हैं। इस वर्ष में 7.35 लाख पौधे रोपने का लक्ष्य रखा गया है। मानसून विलम्ब से आने के कारण अगस्त माह में ही वृक्षारोपण कार्यक्रम हो पाए हैं। इस बार वृक्षारोपण की निगरानी के लिए स्वयं सेवी संस्थाओं को जिम्मेदारी दी गई थी। वृक्षारोपण करने वाली एजेंसी से स्थान विशेष पर लगाए गए पौधों और उनके हरा-भरा रहने तक की रिपोर्ट मांगी गई थी।
दिल्ली सरकार की मुख्यसचिव को दी गई इस रिपोर्ट में बताया गया है कि वृक्षारोपण के निर्धारित लक्ष्य को लगभग एजेंसियां पूरा नहीं कर पाईं हैं। इस कार्य में वन विभाग, इको टास्क फोर्स, डीडीए, पीडब्ल्यूडी, विकास विभाग, सीपीडब्ल्यूडी, एनडीएमसी, एमसीडी और दिल्ली छावनी बोर्ड का योगदान रहता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि रेसीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन और स्कूलों ने इस कार्य में विशेष रुचि दिखाई है। 253 स्कूलों ने पैंतालीस हजार पौधे, 196 रेसीडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों ने तीस हजार पौधे सरकारी निकायों की नर्सरियों से प्राप्त किए। आशा की गई है कि वृक्षारोपण की संख्या सितम्बर माह में और बढ़ेगी।
दिल्ली सरकार की मुख्यसचिव को दी गई इस रिपोर्ट में बताया गया है कि वृक्षारोपण के निर्धारित लक्ष्य को लगभग एजेंसियां पूरा नहीं कर पाईं हैं। इस कार्य में वन विभाग, इको टास्क फोर्स, डीडीए, पीडब्ल्यूडी, विकास विभाग, सीपीडब्ल्यूडी, एनडीएमसी, एमसीडी और दिल्ली छावनी बोर्ड का योगदान रहता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि रेसीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन और स्कूलों ने इस कार्य में विशेष रुचि दिखाई है। 253 स्कूलों ने पैंतालीस हजार पौधे, 196 रेसीडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों ने तीस हजार पौधे सरकारी निकायों की नर्सरियों से प्राप्त किए। आशा की गई है कि वृक्षारोपण की संख्या सितम्बर माह में और बढ़ेगी।
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दिल्ली ऐतिहासिक नगरी है । यह भारतीय सम्राट पृथ्वीराज चौहान की राजधानी थी । बाद में यह मुहम्मद गौरी के नियंत्रण में आ गई । मुगलकाल में भी यह नगर महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक केन्द्र था । अंग्रेजों ने सन् 1911 में कोलकाता के स्थान पर दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया । 1947 ई. में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् यह भारत की राजधानी बनी । आज नई दिल्ली भारत की राजधानी है । यह यमुना नदी के तट पर बसी हुई है ।
आज दिल्ली एक आधुनिक भव्य नगर का रूप ले चुकी है । यहाँ अनेक भव्य इमारतें और चौड़ी सड़कें हैं । सड़क परिवहन के अलावा यहाँ रेल परिवहन और वायु परिवहन की भी अच्छी व्यवस्था है । इक्कीसवीं सदी की आवश्यकताओं को देखते हुए
वातानुकूलित एवं स्वचालित मैट्रो रेल की स्थापना की गई है । इससे स्थानीय यात्रा में लगनेवाले श्रम, समय एवं धन की बचत होती है । दिल्ली के बाजार भी बड़े भव्य हैं । बड़े-घड़े मॉल्स शहर की रौनक बढ़ाते हैं । सुपर बाजारों की संख्या भी दिनोदिन बढ़ती जा रही है । लोगों के निवास के लिए बहुमंजिली इमारतें बनाई गई हैं ।
राष्ट्रपति भवन की सीध में इंडिया गेट परिसर है । इंडिया गेट भारत के शहीदों को समर्पित है । यहाँ भारत के लिए प्राण अर्पित करने वाले शहीदों के सम्मान में रात-दिन ज्योति प्रज्वलित रहती है । महत्त्वपूर्ण अवसरों पर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति एवं रक्षा मंत्री यहाँ आते हैं तथा राष्ट्र की ओर से शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं ।
राजधानी दिल्ली में अनेक दर्शनीय स्थल हैं । यहाँ शाहजहाँ द्वारा निर्मित लाल किला और जामा मस्जिद बहुत प्रसिद्ध है । लालकिला एक भव्य किला है जिसे लाल बलुए पत्थर से बनाया गया था । इसके भीतर संग्रहालय, दीवाने आम, दीवाने खास जैसी सुंदर इमारतें हैं । जामा मस्जिद भी बहुत आकर्षक है । पर्यटक इन स्थानों को देखने बड़ी संख्या में आते हैं ।
दिल्ली में स्थित कुतुबमीनार भारत की सबसे ऊँची प्राचीन मीनार है । यह भारत की राष्ट्रीय धरोहर है । इसमें की गई कलाकारी बहुत आकर्षक है । पास ही मौर्यकालीय लौह स्तंभ है । इसकी विशेषता यह है कि इसमें कभी जंग नहीं लगता ।
आज दिल्ली एक आधुनिक भव्य नगर का रूप ले चुकी है । यहाँ अनेक भव्य इमारतें और चौड़ी सड़कें हैं । सड़क परिवहन के अलावा यहाँ रेल परिवहन और वायु परिवहन की भी अच्छी व्यवस्था है । इक्कीसवीं सदी की आवश्यकताओं को देखते हुए
वातानुकूलित एवं स्वचालित मैट्रो रेल की स्थापना की गई है । इससे स्थानीय यात्रा में लगनेवाले श्रम, समय एवं धन की बचत होती है । दिल्ली के बाजार भी बड़े भव्य हैं । बड़े-घड़े मॉल्स शहर की रौनक बढ़ाते हैं । सुपर बाजारों की संख्या भी दिनोदिन बढ़ती जा रही है । लोगों के निवास के लिए बहुमंजिली इमारतें बनाई गई हैं ।
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