मेरा देश बदल raha हैं।
600 words essay in hindi
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पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जब तक जीवित रहे देश की सेवा में लगे रहे। वह देश से प्रेम करते थे और नागरिकों में प्रेम और कर्तव्य की भावना जागृत करना चाहते थे।
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जब तक जीवित रहे देश की सेवा में लगे रहे। वह देश से प्रेम करते थे और नागरिकों में प्रेम और कर्तव्य की भावना जागृत करना चाहते थे। वह देश के कोने-कोने में जाकर युवाओं और बच्चों के भीतर ज्ञान का अलख जगाना चाहते थे। अपने इस ध्येय को पूरा करने के लिए अपने जीवन काल में वे 15 करोड़ छात्रों से मिले। उनसे बातें कीं और देश और इसके विकास के प्रति उनकी मानसिक अवधारणाओं को जानने की कोशिश की। उनका संपूर्ण जीवन युवाओं और बच्चों के लिए प्रेरणास्रोत रहा है। यही प्रेरणा उनके भाषणों में भी मिलती है। उनके भाषण हर आयुवर्ग के लोगों में नई ऊर्जा और चेतना का संचार करते हैं। उनके ऐसे ही 25 भाषणों का संकलन है 'मेरा देश बदल रहा है।' इसे संकलित किया है अरुण तिवारी ने। यह संकलन मूल रूप से अंग्रेजी में छपे 'इन्लाइटेंड माइन्ड्स' का हिंदी अनुवाद है।
डॉ. कलाम ने अपने भाषणों में अपने कार्यों और अनुभव के बारे में भी बताया है। वैज्ञानिक के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण कार्य किए। संकलन में कई प्रक्षेपात्रों के परीक्षण की भी जानकारी मिलती है।
डॉ. कलाम हर चीज के सकारात्मक और नकारात्मक पहलू पर भी विचार करते थे। उन्होंने अपने भाषणों में भी इस विचार को व्यक्त कर दुनिया को आगाह किया है। 'विज्ञान एक दोधारी तलवार जैसा होता है। जहां आइंस्टाइन के सिद्धांत ने मनुष्यता की ऊर्जा की समस्या का समाधान किया, वहीं इसी के आधार पर एटम बम भी डिजाइन किया गया। इसका यह दूसरा प्रारूप आज भी वैश्विक शांति के लिए खतरा बना हुआ है।' इसी तरह किताब में उनके भाषण, उनकी सोच, सेवा भावना, देशप्रेम, मार्गदर्शन, कार्य, शिक्षा, छात्रों से लगाव, उत्साह, लगन, देश और प्रकृति के प्रति कर्तव्य जैसे विचारों का संकलन किया गया है।
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मेरा देश बदल raha हैं।
600 words essay in hindi
Ask for details Follow Report by Sharandeepkaur31 3 weeks ago
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priya1423
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पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जब तक जीवित रहे देश की सेवा में लगे रहे। वह देश से प्रेम करते थे और नागरिकों में प्रेम और कर्तव्य की भावना जागृत करना चाहते थे।
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जब तक जीवित रहे देश की सेवा में लगे रहे। वह देश से प्रेम करते थे और नागरिकों में प्रेम और कर्तव्य की भावना जागृत करना चाहते थे। वह देश के कोने-कोने में जाकर युवाओं और बच्चों के भीतर ज्ञान का अलख जगाना चाहते थे। अपने इस ध्येय को पूरा करने के लिए अपने जीवन काल में वे 15 करोड़ छात्रों से मिले। उनसे बातें कीं और देश और इसके विकास के प्रति उनकी मानसिक अवधारणाओं को जानने की कोशिश की। उनका संपूर्ण जीवन युवाओं और बच्चों के लिए प्रेरणास्रोत रहा है। यही प्रेरणा उनके भाषणों में भी मिलती है। उनके भाषण हर आयुवर्ग के लोगों में नई ऊर्जा और चेतना का संचार करते हैं। उनके ऐसे ही 25 भाषणों का संकलन है 'मेरा देश बदल रहा है।' इसे संकलित किया है अरुण तिवारी ने। यह संकलन मूल रूप से अंग्रेजी में छपे 'इन्लाइटेंड माइन्ड्स' का हिंदी अनुवाद है।
डॉ. कलाम ने अपने भाषणों में अपने कार्यों और अनुभव के बारे में भी बताया है। वैज्ञानिक के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण कार्य किए। संकलन में कई प्रक्षेपात्रों के परीक्षण की भी जानकारी मिलती है।
डॉ. कलाम हर चीज के सकारात्मक और नकारात्मक पहलू पर भी विचार करते थे। उन्होंने अपने भाषणों में भी इस विचार को व्यक्त कर दुनिया को आगाह किया है। 'विज्ञान एक दोधारी तलवार जैसा होता है। जहां आइंस्टाइन के सिद्धांत ने मनुष्यता की ऊर्जा की समस्या का समाधान किया, वहीं इसी के आधार पर एटम बम भी डिजाइन किया गया। इसका यह दूसरा प्रारूप आज भी वैश्विक शांति के लिए खतरा बना हुआ है।' इसी तरह किताब में उनके भाषण, उनकी सोच, सेवा भावना, देशप्रेम, मार्गदर्शन, कार्य, शिक्षा, छात्रों से लगाव, उत्साह, लगन, देश और प्रकृति के प्रति कर्तव्य जैसे विचारों का संकलन किया गया है।