मेरे दादा दादी पर निबंध 100 शब्दो का
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पहले के समय में बच्चों को उनके दादा-दादी के साथ समय व्यतीत करने का काफी मौका मिलता था पर अब वे अलग परिवार बसाने की बढ़ती प्रणाली की प्रवृत्ति के कारण एक-दूसरे से कम ही मिल पाते हैं। जहाँ तक माता-पिता की बात है तो वे कई निजी और व्यावसायिक प्रतिबद्धताओं के कारण अपने बच्चों को दादा-दादी के पास ले जाने का पर्याप्त समय नहीं बचा पाते पर उन्हें किसी भी हाल में एक दूसरे के साथ समय व्यतीत करने के लिए कोशिश करनी होगी। यहां कुछ ऐसे सुझाव दिए गए हैं जो इस दिशा में काम में लिए जा सकते हैं:
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दादा-दादी, नाना-नानी घर से सबसे बड़े एवं सम्मानीय सदस्य होते हैं। इसलिए घर के सभी लोगों के मन में इनके लिए अलग भावना होती है और सब इनका आदर करते हैं। घर से हर काम को इनकी सलाह से पूरा किया जाता है, क्योंकि इनके घर के लिए गए हर फैसले अहम होते हैं, इन्हें दुनिया का काफी अच्छा तुर्जुबा होता है और लोगों की बेहतर पहचान होती है।
इसलिए वे अपने अनुभव और तर्जुबे को अपने बच्चों को पोता – पोता से सांझा करते हैं और उन्हें दुनिया के बारे में मुखातिब करवाते हैं और उन्हें सही सलाह देकर सही मार्ग पर चलने की शिक्षा देते हैं।
इसके साथ ही घर में अनुशासन को बनाए रखने के लिए प्रेरणा देते हैं और अनुशासन के महत्व को अपने पोता-पोती को बताते हैं।
दादा-दादी, घर की रौनक होते हैं और अपने पोता – पोती को उनके माता-पिता से भी ज्यादा प्यार करते हैं और उन्हें अच्छी कहानियां सुनाकर उनके बचपन को और भी ज्यादा बेहतर बनाते हैं।
वहीं आज की युवा पीढ़ी सुंयुक्त परिवार में रहना नहीं पसंद करती है, सेपरेट परिवार में रहना एक ट्रेंड सा बनता जा रहा है। जिसके चलते आज के बच्चों को दादा-दादी और नाना – नानी का प्यार नहीं मिल पाता है।
वहीं इस बात को हर माता-पिता को जरूर समझना चाहिए और अपने बच्चों को दादा-दादी के पास रहने का मौका देना चाहिए ताकि उन्हें दादा-दादी का भरपूक प्यार मिल सके, क्योंकि दादा-दादी के प्यार के बिना बचपन अधूरा होता है।
वहीं जब माता-पिता अपने कामों में व्यस्त रहते हैं तो दादा-दादी ही होते हैं जो पोता-पोती को भरपूर समय देते हैं और उनके अंदर अच्छे संस्कारों का विकास करते हैं साथ ही उन्हें भारतीय संस्कृति एवं परंपरा के महत्व को बताते हैं और उनके अंदर नैतिक मूल्यों एवं कर्तव्यों की भावना का विकास करने में उनकी मद्द करते हैं।
जो बच्चे अपने दादा-दादी के संपर्क में रहते हैं उनके अंदर रिश्तों की अहमियत और प्रेम, सम्मान की भावना कूट-कूट कर भरी होती है, क्योंकि दादा-दादी बच्चों को सभी से प्रेम करने और रिश्तों के महत्व को बेहद अच्छे तरह से समझाते हैं।