मेरी दीवानगी की कोई हद नहीं, सूरत के सिवा कुछ मैं, मैं हूँ तेरे गुलशन का, तेरे सिवाएंम पर किसी का हक़।
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जी चाहे कि दुनिया की हर एक फ़िक्र भुला कर,
दिल की बातें सुनाऊं तुझे मैं पास बिठाकर।
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kahase dhund lete ho ye shayriya
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