Hindi, asked by kmnisha11051995, 9 months ago

मेरे उर
बना मधुर मेरा जीवन!
नव-नव सुमनों से चुन-चुन कर,
धूलि, सुरभि, मधुरस, हिमकण,
की
मृदु कलिका में
भर दे, कर दे विकसित मनए,
बना मधुर
मेरा भाषण!
बशी से ही कर दे मेरे
सरल प्राण औ' सरस वचन,
जैसे-जैसे मुझको छेड़ें
बोलूँ अधिक मधुर, मोहन,
जो अकर्ण अहि को भी सहसा
कर द मत्रमुग्ध नत फन!
रोम-रोम के छिद्रों से, माँ,
फूटे तेरा राग गहन,
बना मधुर
मेरा तन-मन!
-समित्रानंदन पंत​

Answers

Answered by Anonymous
0

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Nice poem........❤️❤️❤️

Answered by shwetayad30105
1

Answer:

बशी से ही कर दे मेरे

सरल प्राण औ' सरस वचन,

जैसे-जैसे मुझको छेड़ें

बोलूँ अधिक मधुर, मोहन,

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