मीरा ऊचे उचे महलो के बीच मे बारी
Answers
पाठ-02 मीरा के पद
निर्देश –
सभी प्रश्न अनिवार्य है।
प्रश्न 1 से 3 एक अंक के है।
प्रश्न 4 से 8 दो अंक के है।
प्रश्न 9 से 10 पांच अंक के है।
मीरा के आराध्य देव कौन हैं ?
कृष्ण ने किसकी लाज बचाई थी?
भक्त की रक्षा हेतु भगवान ने कौन –सा अवतार लिया था?
मीराबाई ने श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का वर्णन किस प्रकार किया है ?
पहले पद में मीरा ने प्रभु से अपनी पीड़ा हरने की विनती किस प्रकार की है ?
दूसरे पद में मीराबाई श्याम की चाकरी क्यों करना चाहती हैं?
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए |
हरि आप हरो जन री भीर|
द्रोपदी री लाज राखी,आप बढ़ायो चीर |
भगत कारण रूप नरहरि,धर् यो आप सरीर |
कृष्ण की चाकरी करने से मीरा को कौन–कौन से तीन लाभ मिल सकेंगे?
मीरा ने अपने पदों में प्रभु के प्रति अपनी भावनाऍ कैसे व्यक्त की हैं?
मीरा ऊँचे-ऊँचे महलों और बीच –बीच में बगिया की कल्पना क्यों की है?
पाठ-02 मीरा के पद
(आदर्श उत्तर)
मीरा के आराध्य देव श्रीकृष्ण हैं|
कृष्ण ने दौपदी की लाज बचाई थी|
भक्त की रक्षा हेतु भगवान ने नरसिंह अवतार लिया था |
मीराबाई ने कृष्ण के रूप सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहा है कि उनके मस्तक पर मोर के पंखों से बना सुंदर मुकुट शोभायमान हो रहा है |उनके गले में वनफूलों से बनी हुई माला सुशोभित हो रही है |वे पीले वस्त्र पहनकर मुरली बजाते हुए गाय चरा रहे हैं |
मीरा स्वयं को हरि का जन बताती हैं, इसलिए प्रभु को उनकी पीड़ा हरनी चाहिए |मीरा प्रभु को उनके उस रूप का स्मरण कराती हैं ,जिसमे वे रक्षक बनकर अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उनके कष्ट हरते हैं | उदाहरण के लिए: द्रौपदी की लाज बचाना,भक्त प्रह्लाद की रक्षा करना,डूबते हुए हाथी को बचाना आदि| मीरा ने हरि से अपना उद्धार करने की गुहार लगाई है |
दूसरे पद में मीराबाई श्याम की चाकरी इसलिए करना चाहती हैं,क्योंकि वह दिन-रात कृष्ण के पास रहकर उनके दर्शन करना चाहती हैं |वह उनकी भक्त हैं|वह उन्हें प्रसन्न करने के लिए उनके बाग-बगीचे में काम करना चाहती हैं,ताकि श्रीकृष्ण यह सब देखकर प्रसन्न हो सकें और मीरा को उनकी कृपा प्राप्त हो सके |
मीराबाई श्रीकृष्ण से प्रार्थना करती हैं कि हे ईश्वर!केवल आप ही इस दासी के कष्टों को दूर कर सकते हैं|आपने ही द्रौपदी की साड़ी को बढ़ाकर उसे अपमानित होने से बचाया था|आपने नरसिंह अवतार लेकर प्रह्लाद को बचाया | आपने डूबते हुए हाथी को बचाया |प्रस्तुत पंक्तियों में मीरा का दास्य-भाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है |प्रस्तुत पंक्तियाँ गेयात्मक हैं |
कृष्ण की चाकरी करने से मीरा को तीन लाभ होंगे|वह कृष्ण के नित्य दर्शन पा सकेंगी|वह चाहती हैं कि वृन्दावन की गलियों में कृष्ण की लीला का यशोगान करें |उनकी तीसरी और अंतिम इच्छा है कि किसी प्रकार उन्हें श्रीकृष्ण की भक्ति प्राप्त हो जाए |अपने इन्हीं तीन इच्छाओं को उन्होंने तीन लाभ बताया है|
मीरा ने अपने पदों में अपने आराध्य देव के प्रति अनन्य भक्ति-भाव को व्यक्त किया है |उनके गिरधर गोपाल हमेशा अपने भक्तों पर दया-भाव रखते हैं| मीरा भी इसी दया –भाव को पाने की आकांक्षा रखती हैं इसलिए वे दासी बनने को भी तैयार हैं|श्रीकृष्ण के रूप –माधुर्य का वर्णन करते हुए वे भाव-विभोर हो जाती हैं| उन्होंने अपने पदों में कृष्ण से मिलने की अधीरता को व्यक्त किया है जो भक्त की स्थिति को दर्शाती है |
मीरा ऊँचे-ऊँचे महलों और बीच-बीच में बगिया की कल्पना इसलिए करती हैं ,क्योंकि वृन्दावन में कृष्ण का भव्य और ऊँचा महल है|वह इस महल के बीचों –बीच सुंदर फूलों से सजी फुलवारी बनाना चाहती हैं ,ताकि जब कृष्ण वहाँ आएँ तो इन फूलों से सजी फुलवारी को देखकर खुश हो जाएँ और मीरा उनके इस मोहित कर देने वाले रूप के दर्शन कर सकें |