Hindi, asked by KapilMasiwal, 9 months ago

मेरा व्यक्तित्व मेरी पहचान पर टॉपिक हिंदी में​

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Answered by SyedHasan786
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Answer:

हर व्यक्ति के अपनी सोच होती है, वही सोच उसकी पहचान बनती है। मेरी पहचान, मेरा व्यक्तित्व इस विषय पर शायद हम कभी नहीं सोचते और ना ही कभी हम अपनी पहचान बनाना चाहते।हम अपने बारे में सोचते कम है बस हमारे सामने जो परिस्थितियां आती जाती हैं, हम उनके अनुरूप ढलते जाते हैं। अगर हम खुद के बारे में सोचें विचार करें। हमारे अंदर अगर निर्णय लेने की क्षमता है तो हम अपना सामना कर सकते हैं लेकिन होता क्या है? हमारा स्वभाव ऐसा है हर किसी के सामने झुक जाना, किसी बात पर सहमत ना होते हुए भी उसको मान लेना, किसी को बुरा बोलेंगे अच्छा नहीं लगेगा, ऐसी बहुत सारी चीजें होती हैं जिनके कारण हम अपने व्यक्तित्व को पहचान नहीं पाते।

हमें अपने आप से यह सवाल करना चाहिए कि मैं क्या हूँ?मेरा व्यक्तित्व कैसा हो, इस प्रश्न का जवाब खोजते रहना चाहिए तो शायद हम अपने व्यक्तित्व को पहचान पाएंगे। अगर कोई कार्य हमें नहीं पसंद तो वह नहीं करना चाहिए, हमें अपने अस्तित्व को मिटाकर वह कार्य नहीं करना है सत्य की राह पर चलते हुए जो भी कठिनाई आए आगे बढ़ते जाना है। हम जो भी हैं ओ है सबके सामने हैं हमें अपने व्यक्तित्व में क्यों बदलाव करने पड़ते हैं?क्यों हम लोगों को खुद के सामने अच्छा दिखाना चाहते हैं? जो वास्तविकता है वह क्यों नहीं दिखाना चाहते? क्यों हम स्वयं से भागते रहते हैं? मेरा तो यही मानना है हम जो भी हैं जैसे भी हैं दुनिया के सामने है। हमें अपने आप में किसी को दिखाने के लिए कोई बदलाव नहीं करना। हमारा व्यक्तित्व ही हमारी पहचान होना चाहिए। असली और नकली का भेद हमें पता होना चाहिए कि दुनिया के सामने हम नकली बने रहते हैं और अपने असली रूप को भूल जाते है। जीवन इतना कठिन होता नहीं है हम उसे कठिन बनाते हैं क्योंकि हम सच्चाई को स्वीकार नहीं करना चाहते। अरे! साहब सत्य से कितना दूर रहोगे एक ना एक दिन आप का सच आपके सामने खड़े होकर स्वयं सवाल करेगा फिर क्या करोगे?

मत भागो सच्चाई से हो इंसान तुम,

पर्दे के पीछे खड़ा देख रहा हूँ मै,

परछाई हूँ तुम्हारी,

मत भागो मुझसे,

आत्मा का सच,

मान हूँ तुम्हारा,

करो सामना मेरा,

व्यक्तित्व नाम है मेरा।

" रेखा "

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