मैं रोया, इसको तुम कहते हो गाना,
मैं फूट पड़ा, तुम कहते, छंद बनाना;
क्यों कवि कहकर संसार मुझे अपनाए,
मैं दुनिया का हूँ एक नया दीवाना!
मैं दीवानों का वेश लिए फिरता हूँ,
मैं मादकता निःशेज़ लिए फिरता हूँ;
जिसको सुनकर जग झूम, झुके, लहराए,
मैं मस्ती का संदेश लिए फिरता हूँ!
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कवि कहता है कि मैं तो रोया अत: मेरे हृदय का दु:ख शब्दों में ढलकर प्रकट हुआ और इसे ससार गाना (गीत) कहता है। कवि के हृदय के भाव सहजता के साथ फूटे तो संसार के लोग उसे छंद बनाना कहने लगे।
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