Hindi, asked by ASHISHDJ, 10 months ago

'मुरझाए फूल की आत्मक्या' । विषय पर एक निबंध लिखे।
(शब्द संख्या - 200 शब्दों में)​

Answers

Answered by nabodhkumar712
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&lt;p</p><p>style="color:cyan;font-family:cursive;background:black;font size:40px;"&gt;एक कविता के ज़रिये फूल की आत्मकथा साझा कर रहा हूँ. ये एक सरल कोशिश है, पता नहीं, आप सबको कैसी लगे</p><p>ऐ मानव मैं एक उजड़ा फूल</p><p>मेरा अंतिम क्षण है जैसे रेत की धूल</p><p>मैं उठा था कभी किसी लेहलेहाती डाली से</p><p>इठलाती, बलखाती, खिलखिलाती हरियाली से</p><p>मुझे बड़ा किया था माली ने अपने ही सींचे हुए बागान में</p><p>फिर बेच आया वह मुझे पड़ोस की ही दुकान में</p><p>मेरे कुछ दोस्त उसी दुकान से मंदिरों में चले गए</p><p>और कुछ तो खरीदारों के इंतज़ार में ही रह गए</p><p>मैं भी एक ही दिन रहा उसी फूलों की दुकान पर</p><p>और अगले दिन ही सज गया मैं किसी शादी के मकान पर.</p><p>फिर किसी ने मुझे चुपके से गुलदस्ते में सजा लिया</p><p>और कुछ दिन मैंने उसी हसीना की ज़ुल्फ़ों का भी मज़ा लिया</p><p>मैं मंदिर के द्वार पर चढ़ा, मस्जिद की चादर में लगा</p><p>मैं प्यार का इज़हार भी बना, अर्थी का सामान भी बना.</p><p>मैं इत्र की महक भी बना, माला का हार भी बना.</p><p>शहीदों के कफ़न पर, मैं शहीदों का पुरस्कार भी बना</p><p>मैं नमन में भी, अमन में भी, दुआ में भी, वचन में भी</p><p>मिलन में भी, बिछोह में भी,आगाज़ में भी, अंत में भी</p><p>ऐ मानव। मैं हर घड़ी</p><p>तेरी ज़िन्दगी में खुशबु बिखेरता हूँ चला.</p><p>तू ये बता मैंने तुझमे कोई फर्क किया है भला?</p><p>फिर कैसे तेरे हाथों में मैं भिन्न सा हो जाता हूँ.</p><p>इस हाथ से उस हाथ में कुछ और ही बन जाता हूँ.</p><p>है खुशबु ये फितरत मेरी, मैं खुशबु ही फैलाऊंगा।</p><p>तू चाहे मसले हाथ से, पर मैं सुगंध बन जाऊँगा।</p><p>अब चंद सांसों का है खेला, अब मैं बिखरने वाला हूँ</p><p>पर अभी अपनी खुशबु से दुनिया को मैं महकाऊँगा।</p><p>&lt;/p&gt;

Answered by TejasviJaiswal
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फूल हूं सूरज की पहली किरण के साथ अपनी पंखुड़ियां बिखेर कर खिल जाता हूं. यह उसी प्रकार है जिस प्रकार मानव सुबह होते ही अंगड़ाई लेते हुए अपनी बाहों को खोलकर उठ जाता है. मैं खिलने के बाद पहली बार में इस दुनिया को देखता हूं.

यह दुनिया देखकर मुझे बहुत अच्छा लगता है ऊपर नीला आसमान, रंग बिरंगे उड़ते पंछी, नन्ही तितलियां, ठंडी-ठंडी हवा चल रही होती है, छोटी-छोटी ओस की बूंदें मेरे ऊपर जमा होती है और चारों और हरियाली मुझे बहुत भाती है.

यह वातावरण मुझे बहुत अच्छा लगता है इसीलिए मैं बार-बार इस दुनिया में जन्म लेता रहता हूं. मैं जब खिलता हूं तो मेरी पंखुड़ियां बहुत ही कोमल होती है साथ ही मेरे में से भिन्न-भिन्न प्रकार की सुगंधित सुगंध भी आती है.

जिससे आसपास का पूरा वातावरण मेरी सुगंध से सुगंधित हो जाता है. मेरी सुंदरता को देखते ही मानव मेरी ओर खींचे चले आते है और मेरे पास आकर मेरी बहुत सराहना करते हैं यह देख कर मुझे बहुत ही अच्छा लगता है. लेकिन जब मानव मुझे बिना किसी वजह के तोड़ता है और हाथों में मसल कर कहीं पर भी फेंक देता है तो मुझे बहुत ही दुख होता है.

इस दुनिया में मेरी उम्र बस कुछ ही दिनों की होती है फिर भी मैं खुश रहता हूं और दूसरों के मुख पर भी मुस्कान बिखेर देता हूं. मैं मानव के हर सुख दुख में काम आता हूं. जब किसी बड़े महापुरुष का सम्मान किया जाता है तो मेरी माला बनाकर उस महापुरुष का सम्मान किया जाता है.

इस दुनिया में जब कोई जन्म लेता है तब भी मेरे फूलों से ही उसका स्वागत किया जाता है. और जब किसी मानव की मृत्यु हो जाती है तब भी मुझे इस्तेमाल में लिया जाता है. कुछ लोग मुझे ईश्वर के चरणों में और उनकी साज सज्जा में सजाने के लिए उपयोग में लेते है यह देख कर मुझे बहुत प्रसन्नता होती है कि मेरी इतने छोटे से जीवन में मैं ईश्वर के इतने पास आ सका और उनकी शोभा बढ़ा सका.

जब यहां पर कोई त्यौहार है आता है तो लोग अपने घरों को मेरी माला बनाकर सजाते है. जब कोई जवान देश के लिए शहीद होता है तब उसके सम्मान में मेरी माला बनाकर पहनाई जाती है यह देख कर मैं बहुत ही गौरवान्वित महसूस करता हूं कि मैं टूटने के बाद भी किसी शहीद का सम्मान के काम आ रहा हूं.

जब किसी का विवाह होता है तो पुरुष और स्त्री एक दूसरे में मेरे फूलों से बनी माला को एक दूसरे के गले में हाथ डाल कर विवाह की रस्म निभाते है मुझे खुशी होती है कि मैं किसी के रिश्ते का आधार बन पाया.

मैं जब इस संसार में आता हूं तो मेरी पंखुड़ियां कभी एक रंग की होती हैं तो कभी लाल, पीली, हरी, नीली, गुलाबी, सफेद और भी कई प्रकार की होती है. जैसे ही मैं खिलता हूं भवरे और मधुमक्खियां मेरे ऊपर आ कर बैठते हैं और मेरे रस का पान करने लग जाते है.

मधुमक्खियां मेरे रसको चूसकर अपने सत्य में ले जाकर इकट्ठा करती है यही उनका भोजन होता है लेकिन इस रस को मानव द्वारा भी काम में लिया जाता है जिस से कई बीमारियां दूर हो जाती है और मुझे खुशी होती है कि मेरे रस के कारण किसी का पेट भरता है तो किसी की बीमारियां दूर हो जाती है.

मानव द्वारा मेरी पंखुड़ियों को पीसकर उनका इत्र बनाया जाता है जब मुझे किसी पौधे पर से तोड़ा जाता है तब मुझे बहुत ही दर्द होता है और उसी समय मेरी मृत्यु भी हो जाती है लेकिन कुछ सांस फिर भी बाकी रहती है. और जब मानव द्वारा मुझे इत्र बनाने के लिए पीसा जाता है तो मुझे बहुत कष्ट होता है लेकिन साथ ही खुशी भी होती है कि मेरे इस दुनिया में नहीं होने के बाद भी मेरी सुगंध से यह पूरा संसार महकेगा.

मेरी इस दुनिया में कई प्रजातियां होती है मानव द्वारा इन प्रजातियों को कई अलग-अलग नाम दिए गए हैं जैसे गुलाब, सूरजमुखी, गेंदा, चमेली, कमल आदि है. इन सब फूलों में सबसे ज्यादा मुझे गुलाब के रुप में पसंद किया जाता है क्योंकि मैं इस रूप में बहुत ही खूबसूरत होता हूं और मेरी सुगंध सभी प्राणियों को मेरी ओर आकर्षित करती है.

मैं फूल हूं मैं बाग-बगीचों की रानी हूं मैं रोज यहां पर खिलकर इन की शोभा बढ़ाता हूं. लेकिन कुछ लोगों द्वारा मेरे तोड़ने की मनाही होने के बाद भी मुझे तोड़ा जाता है और फिर मेरी थोड़ी सी मुरझाने पर कचरे या फिर किसी गंदी जगह में ऐसे फेंक दिया जाता है मानो मेरा कोई अस्तित्व ही ना हो, इससे मुझे बहुत दु:ख का अनुभव होता है.

कवि और लेखकों के बीच में बड़ा मशहूर हूं वह लोग मेरे ऊपर बहुत सी कविताएं और लेख लिखते हैं मेरे रूप और मेरी खुशबू का गुणगान करते है. शायद कवि और लेखक ही सही मायनों में मेरे जीवन को पहचान पाते है.

पुरातन काल में में समय जन्म लेता था लेकिन वर्तमान में मानव द्वारा मेरे पौधों की खेती की जाती है और मुझे इस दुनिया में लाया जाता है जब मैं खिल जाता हूं तब मुझे तोड़कर बाजारों में बेच दिया जाता है जिससे किसान लोग अपने जीवन की रोजी-रोटी चला पाते हैं मुझे गर्व महसूस होता है कि मेरी वजह से किसी की रोजी-रोटी चल रही है.

अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि मानव द्वारा ही मुझे खाद और पानी देकर लगाया जाता है मेरे खिलने पर बड़ी सी मुस्कान के साथ मेरा स्वागत किया जाता है और जैसे ही मैं मुरझा जाता हूं मुझे उठाकर कचरे में फेंक दिया जाता है यही मेरे छोटी सी जीवन की छोटी सी कहानी है.

फूल की आत्मकथा से शिक्षा

एक फूल का जीवन बहुत ही अल्प समय का होता है लेकिन इस अल्प समय में भी वह ऐसा काम कर जाता है कि किसी को रोजगार दे जाता है, किसी को भोजन, किसी को सम्मान, तो किसी के रिश्ते का आधार बन जाता है और पूरे वातावरण को अपनी सुगंध से सुगंधित कर देता है.

इसी प्रकार मनुष्य को भी अपना जीवन लोगों की सेवा में लगाकर व्यतीत करना चाहिए ना की किसी छल-कपट का सहारा लेकर जीवन जीना चाहिए.

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