मुरली वाले से मोलभाव कौन कह रहा जिसे लग रहा था वह उसके ऊपर एहसान रहा है कौन कह रहा
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मिठाईवाले के माध्यम से लेखक ने एक ऐसे प्रतिष्ठित व्यक्ति की मन:स्थिति पर प्रकाश डाला है जो असमय ही अपने बच्चों तथा पत्नी को खो चुका है। अपने निराशा भरे जीवन में आशा का संचार करने के लिए वह कभी मिठाईवाला, कभी मुरलीवाला व कभी खिलौनेवाला बनकर आता है वच्चों के प्रति उसका विशेष लगाव झलकता था। उसे उन बच्चों में अपने बच्चों की झलक नजर आती थी जिससे उसे बहुत संतोष और प्रसन्नता का अनुभव होता है। मिठाईवाले का बच्चों को आकर्षित करना-मिठाईवाला पैसों के लालच में अपना सामान नहीं बेचता था, वह तो चाहता था कि बच्चे सदा हँसते-खेलते हैं। इस कारण जब-जब भी आता, बच्चों की मनभावन चीजें, कभी खिलौने व कभी मिठाइवाँ बेचने के लिए लाता । गलीभर में गा गाकर व कम दाम में सामान बेचकर बच्चों को प्रसन्न करता। रोहिणी की हैरानी का कारण विजय बाबू के बच्चे चुन्नू-मुन्नू एक दिन एक खिलौने वाले से खिलौने लेकर आए तो उनकी माँ रोहिणी ने उनसे पूछा- 'कितने में लाए हो?' तो मुनू ने बताया 'दो पैसे में ।' रोहिणी हैरान थी कि खिलौनेवाला इतने बढ़िया खिलौने इतने कम दामों में क्यों बेच गया |
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विजय बाबू
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