मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं, गुंज की माल गरें पहिरौंगी
ओढ़ि पितंबर लै लकुटी बन गोधन ग्वारनि संग फिरौंगी।।
भावतो वोहि मेरो रसखानि सों तेरे कहे सब स्वाँग करौंगी।
या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी।।
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Answer:
Friendship is a relationship of mutual affection between people. It is a stronger form of interpersonal bond than an association, and has been studied in academic fields such as communication, sociology, social psychology, anthropology, and philosophy.
प्रसंग :
प्रस्तुत सवैया हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘रसखान के सवैये’ नामक शीर्षक से लिया गया है जिसके रचयिता रसखान हैं।
संदर्भ :
गोपियों का कृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम है। वे अपने कृष्ण को पाने के लिए, कृष्ण को रिझाने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हैं।
स्पष्टीकरण :
एक गोपी अपनी सखी से कहती है कि कृष्ण मेरा प्रिय है और उसे प्राप्त करने के लिए तेरे कहने पर सारा स्वांग भर लूँगी। वह मोर का पंख अपने सिर पर रख लेगी, गुंज की माला गले में पहन लेगी, पीला वस्त्र बदन पर ओढ़कर हाथ में लकुटी लेकर गोधन को ले ग्वालों के साथ वन में फिरेगी। जैसी सखी की इच्छा वह सब करेगी परन्तु कृष्ण की मुरली को अपने होटों से छूकर अपवित्र नहीं कर सकती।