मूरत का जीवन आनंदपूर्वक कैसे बीतने लगा?
Answers
Answered by
3
Answer:
च) दुखी मूरत के मन में ईश्वर भक्ति का विश्वास उसके मित्र ने जगाया। उसका मित्र बोला “परमात्मा की निष्काम भक्ति करने से अंत: करण शुद्ध होता है। जब सब काम परमेश्वर को अर्पण करके जीवन व्यतीत करोगे तो तुम्हे परमआनंद प्राप्त होगा। (छ) प्रभु का गुणगान करने से मूरत का जीवन आनंदपूर्वक बीतने लगा।
Similar questions
Hindi,
12 days ago
Social Sciences,
12 days ago
Social Sciences,
25 days ago
Social Sciences,
7 months ago
Science,
7 months ago