मैं रति की प्रतिकृति लज्जा हूँ मैं शालीनता सिखाती हूँ। मतवाली सुंदरता पग में नूपुर सी लिपट मनाती हूँ। लाली बन सरल कपोलों में आँखों में अंजन सी लगती। कुंचित अलकों सी घुंघराली मन की मरोर बनकर जगती।
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