मुस्लिम विवाह हिन्दू विवाह से कैसे अलग है
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मुस्लिम विवाह को 'निकाह' कहा जाता है। अवधारणा के स्तर पर मुस्लिम विवाह एक सामाजिक समझौता या नागरिक समझौता है। परंन्तु व्यावहारिक स्तर पर भारत में मुस्लिम विवाह भी धार्मिक है। भारतीय मुसलमानों में अन्य समुदायों की तुलना में तलाक की दर अधिक है। पति-पत्नी के बीच वैवाहिक संबंध की तुलनात्मक स्थिरता भारतीय संस्कृति की साझी विरासत है। भारत में मुस्लिम विवाह अरब दुनिया तथा अन्य स्थानों की तुलना में ज्यादा स्थायी पाया गया है। विवाह = वि + वाह, अत: इसका शाब्दिक अर्थ है - विशेष रूप से (उत्तरदायित्व का) वहन करना। पाणिग्रहण संस्कार को सामान्य रूप से हिंदू विवाह के नाम से जाना जाता है। अन्य धर्मों में विवाह पति और पत्नी के बीच एक प्रकार का करार होता है जिसे कि विशेष परिस्थितियों में तोड़ा भी जा सकता है परंतु हिंदू विवाह पति और पत्नी क बीच जन्म-जन्मांतरों का सम्बंध होता है जिसे कि किसी भी परिस्थिति में नहीं तोड़ा जा सकता। अग्नि के सात फेरे ले कर और ध्रुव तारा को साक्षी मान कर दो तन, मन तथा आत्मा एक पवित्र बंधन में बंध जाते हैं। हिंदू विवाह में पति और पत्नी के बीच शारीरिक संम्बंध से अधिक आत्मिक संम्बंध होता है और इस संम्बंध को अत्यंत पवित्र माना गया है। मातृका पूजन प्रतीक हिंदू मान्यताओं के अनुसार मानव जीवन को चार आश्रमों (ब्रह्मचर्य आश्रम, गृहस्थ आश्रम, सन्यास आश्रम तथा वानप्रस्थ आश्रम) में विभक्त किया गया है और गृहस्थ आश्रम के लिये पाणिग्रहण संस्कार अर्थात् विवाह नितांत आवश्यक है। हिंदू विवाह में शारीरिक संम्बंध केवल वंश वृद्धि के उद्देश्य से ही होता है।
It’s not very different . Only the traditions(the ways) of marriage is different .