मुस्लिम विवाह के प्रकार को समझाइए
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मुस्लिम विवाह कितने प्रकार के होते हैं?
मुस्लिम विवाह को 'निकाह' कहा जाता है। अवधारणा के स्तर पर मुस्लिम विवाह एक सामाजिक समझौता या नागरिक समझौता है। परंन्तु व्यावहारिक स्तर पर भारत में मुस्लिम विवाह भी धार्मिक है। भारतीय मुसलमानों में अन्य समुदायों की तुलना में तलाक की दर अधिक है। पति-पत्नी के बीच वैवाहिक संबंध की तुलनात्मक स्थिरता भारतीय संस्कृति की साझी विरासत है। भारत में मुस्लिम विवाह अरब दुनिया तथा अन्य स्थानों की तुलना में ज्यादा स्थायी पाया गया है।
भारत में मुस्लिम समुदाय दो प्रमुख सम्प्रदायों- शिया एवं सुन्नी में विभाजित है। मोटे तौर पर वे लोग तीन समूहों में विभाजित है।
अशरफ (सैयद, शेख, पठान, इत्यादि)
अजलब (मोमिन, मंसूर, इब्राहिम, इत्यादि)
अरजल (हलालखोर, इत्यादि)
ये सभी समूह अंतर्विवाही माने जाते है तथा इनके बीच बहिर्विवाह को प्रोत्साहन नहीं दिया जाता। कर्मकाण्ड की दृष्टि से विभिन्न सम्प्रदायों तथा समूहों में अंतर पाया जाता है। परन्तु हर मुस्लिम विवाह (निकाह) की पारिभाषिक विशेषताएँ एक समान होती हैं।
मुसलमानों में दो प्रकार के विवाहों की व्यवस्था है – 1. निकाह “स्थायी विवाह” और 2. मुताह निकाह “अस्थायी विवाह” । साथियो क्या आप जानते हैँ “मुताह निकाह” क्या होता है?“मुताह निकाह” एक तरह का फौरी विवाह है, इसमें पैसा देकर कुछ समय के लिए किसी महिला से “अस्थाई विवाह” कर शाररिक संबंध बनाया जा सकता है | यह अति संवेदनशील धार्मिक भावनाओँ वाले लोगोँ मेँ प्रचलित एक अति विशिष्ट “विवाह” पद्धति है।