मैं सुमन हूं कविता का भावार्थ
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Answer:
मैं सुमन हूँ
व्योम के नीचे खुला आवास मेरा;
ग्रीष्म, वर्षा, शीत का अभ्यास मेरा;
झेलता हूँ मार मारूत की निरंतर,
खेलता यों जिंदगी का खेल हंसकर।
शूल का दिन रात मेरा साथ किंतु प्रसन्न मन हूँ
मैं सुमन हूँ...
तोड़ने को जिस किसी का हाथ बढ़ता,
मैं विहंस उसके गले का हार बनता;
राह पर बिछना कि चढ़ना देवता पर,
बात हैं मेरे लिए दोनों बराबर।
मैं लुटाने को हृदय में भरे स्नेहिल सुरभि-कन हूँ
मैं सुमन हूँ...
रूप का श्रृंगार यदि मैंने किया है,
साथ शव का भी हमेशा ही दिया है;
खिल उठा हूँ यदि सुनहरे प्रात में मैं,
मुस्कराया हूँ अंधेरी रात में मैं।
मानता सौन्दर्य को- जीवन-कला का संतुलन हूँ
मैं सुमन हूँ...
Answer:
मैं सुमन हूं यह कविता द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी ने लिखी है। इस कविता के माध्यम से कवि मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाते हैं।
Explanation:
- वे फूल का उदाहरण देकर हमें बतलाते हैं कि सुख और दुख हमेशा नहीं रहता है।
- फूल कह रहा है कि मेरा आवास खुले आकाश के नीचे हैं गर्मी हो या बरसात हो या शरद ऋतु हो मैं किसी खुले आसमान में रहता हूं और निरंतर हवाओं की मार को झेलता रहता हूं, फिर भी मैं जीवन को हंसकर बिताता हूं।
- कांटों से मेरा दिन और रात का नाता रहता है फिर भी मैं खुशी मन से मुस्कुराता रहता हूं क्योंकि मैं सुमन हूं।
- कहने का तात्पर्य है कि फूल की जिंदगी कांटो से भरी पथ से घिरी हुई है फिर भी मैं उन कांटों में ही अपना जीवन मान, उसी के साथ रहकर हमेशा खुश रहने का प्रयास करता हूं।
- फूल आगे कहता है कि मुझे तोड़ने के लिए जिस किसी का भी हाथ बढ़ता है मैं सहज ही उसके गले का हार बन जाता हूं।
- मुझे राह पर बिछा दो या देवता पर चढ़ा दो, दोनों बात मेरे लिए बराबर है, क्योंकि मैं अपना सिर्फ स्नेह लुटाने आया हूं क्योंकि मैं सुमन हूं।
- मैं वह सुगंधित वायु हूं जो अपने सुगंध से सबका मन को मोह लेता है।
- फुल कहता है कि मुझ पर इल्जाम मत लगाना कि मैंने किसी का श्रृंगार किया है, मैं किसी के श्रृंगार में साथ देता हूं तो शव के साथ भी उतनी ही ईमानदारी के साथ रहता हूं। उसका भी मैं शृंगार में शोभा बढ़ाता हूं।
- मैं अगर दिन में खेलता हूं मुस्कुराता हूं तो अंधेरी रातों में भी मैं मुस्कुराता हूं ।
- हां मैं मानता हूं कि जो सुंदरता है वह जिंदगी जीने की कला है।
- हमेशा जीवन में समान व्यवहार करना चाहिए सुख दुख जीवन के दो पहलू है। जीवन में कोई भी स्थिति एक समान नहीं होती।
- हमें पुष्प की भांति सुंदर बनना चाहिए और हमें कोई भी कितना भी चोट पहुंचाए पर हमें एक समान स्थिर रहना चाहिए।
- समस्याएं आई है,पर हमेशा नहीं रहेंगे। अगर हम धैर्य से काम लेंगे तो समस्याएं धीरे-धीरे समाप्त हो जाएंगी। फूल की तरह हमें स्थिर रहना है।
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